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श्रीलंका में प्रधानमंत्री मोदी बोले - आज दुनिया में हुई भारत की स्थिति मजबूत

Update: 2019-06-09 09:00 GMT

कोलंबा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को श्रीलंका पहुंचे उनकी इस यात्रा का उद्देश्य भारत और श्रीलंका के बीच के संबंधों को और मजूबती प्रदान करना है। एयरपोर्ट पर मोदी का स्वागत उनके श्रीलंकाई समकक्ष रानिल विक्रमसिंघे ने किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज दुनिया में भारत की स्थिति मजबूत हो रही है और इसका श्रेय का एक बड़ा हिस्सा भारतीय प्रवासियों को जाता है। मैं जहां भी जाता हूं, भारतीय प्रवासी की सफलताओं और उपलब्धियों के बारे में बताया जाता है। यह बात प्रधानमंत्री माेदी ने कोलंबो में इंडिया हाउस में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कही।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 130 करोड़ देशवासियों का कल्याण यही सरकार का लक्ष्य होता है और यही सरकार की जिम्मेदारी होती है ।हमें देश को आगे ले जाना है, देशवासियों के सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करना है। भारत की विकास यात्रा में शामिल होने के लिए मैं आप सभी को भी निमंत्रण देता हूं।

पीएम मोदी ने कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि कई मुद्दों पर भारत सरकार और विदेशों में रहने वाले भारतीय की सोच एक ही है। आजादी के बाद देश में हुए लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा मतदान इस चुनाव में हुआ है। देश के इतिहास में पहली बार इस चुनाव में पहली बार महिलाओं ने सबसे ज्यादा मतदान किया है।

इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईस्टर के दिन हुए आत्मघाती हमले में मरने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आतंक के कायरतापूर्ण कृत्य श्रीलंका के जोश व जज्बे (स्पिरिट) को नहीं हरा सकते। मोदी ने ट्वीट किया कि मुझे विश्वास है कि श्रीलंका फिर से उठेगा। आतंक के कृत्य श्रीलंका की भावना को नहीं हरा सकते। भारत श्रीलंका के लोगों के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है। मोदी ने ईस्टर के दिन हमले का निशाना बने स्थलों में से एक सेंट एंथनी चर्च से अपनी श्रीलंका यात्रा शुरू की।

श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ध्यान की मुद्रा वाली बुद्ध की प्रतिमा भेंट की। भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि समाधि में लीन बुद्ध प्रतिमा की प्रतिकृति सफेद सागवान की लकड़ी की बनाई गई है। इस उत्कृष्ट कृति को पूरा करने में करीब दो साल लगे हैं। इसमें ट्वीट किया गया कि इसे अनुराधापुरा युग की सबसे अच्छी मूर्तियों में एक माना जाता है। मूल प्रतिमा 4वीं व 7वीं सदी के बीच गढ़ी गई थी।

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