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प्रगति के लिए शांति पहली आवश्‍यकता

Update: 2018-10-15 15:58 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रगति के लिए शांति पहली आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि भारत आगे बढ़ रहा है और पूरा विश्‍व देख रहा है।

उपराष्‍ट्रपति‍ सोमवार को नई दिल्‍ली में ''भारत की रणनीतिक संस्‍कृति, राष्‍ट्रीय मूल्‍य, हित और उद्देश्‍य'' विषय पर राष्‍ट्रीय रक्षा महाविद्यालय में व्‍याख्‍यान दे रहे थे।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि हम एक ऐसे विश्‍व में जी रहे हैं, जो उग्र विचारों, उग्र भावनाओं और उग्र कार्यों से आहत है। उन्‍होंने कहा कि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमारे लिए एक बहुपक्षीय पहुंच की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि उग्रवाद, आतंकवाद, सांप्रदायिकता, महिलाओं पर हिंसा और कई अन्‍य रूपों में हिंसात्‍मक व्‍यवहार को ध्‍यान में रखते हुए एक सम्मिलित पहुंच की जरूरत है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि शां‍ति के लिए शिक्षा और मिलकर रहने के लिए सीखना वर्तमान समय की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि पाठ्यक्रम में निहित संवेदना, अनुकम्‍पा, सहनशीलता के मूल्‍यों वाली शिक्षा के बल पर विवाद और अनावश्‍यक हिंसा को रोका जा सकता है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि हम अलगाववादी, वामपंथी उग्रवाद की समस्‍याओं का सामना कर रहे हैं और देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने के लिए कुछ पृथकतावादी ताकतों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि किसी लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्‍थान नहीं है और भारत एक परिपक्‍व संसदीय लोकतंत्र है| यहां बुलेट की तुलना में बैलट अधिक शक्तिशाली साबित हुआ है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारी मान्‍यता रही है कि पूरा विश्‍व एक बड़ा परिवार है| 'वसुधैव कुटुम्‍बकम' की हमारी भावना से इसका पता चलता है। उन्‍होंने कहा कि हम पृथ्‍वी पर शांति के साथ-साथ सम्‍पूर्ण ब्रह्मांड के लिए भी शांति चाहते हैं। उन्‍होंने कहा कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व हमारे विश्‍वास का एक घटक रहा है| हमें देश के कालातीत दृष्टिकोण से गौरवान्वित होना चाहिए, जो एक ऐसे विश्‍व के दृष्टिकोण में निहित है तथा यह आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है। 

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