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'सदैव अटल' स्थल पर दे सकेंगे वाजपेयी को श्रद्धांजलि, रिकॉर्ड समय में निर्माण

जन्मदिन पर पहुंचेंगे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री

Update: 2018-12-24 12:45 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। कल मंगलवार से देश-दुनिया के लोग दिल्ली के 'सदैव अटल' स्थल पर पहुंचकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। वाजपेयी की यह समाधि राष्ट्रीय स्मृति और विजय घाट के बीच फैले 11 एकड़ भूभाग के मध्य करीब डेढ़ एकड़ में बनकर तैयार हो चुकी है। इसका निर्माण रिकॉर्ड समय 45 दिन में हुआ है। मंगलवार, 25 दिसंबर को अटलजी का जन्मदिन है। उस दिन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के भी सदैव अटल स्थल पर पहुंचने का कार्यक्रम है।

सदैव अटल स्थल का निर्माण अटल स्मृति न्यास की ओर से केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने किया है। यह विशेष ध्यान देने वाली बात है कि अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि और उसके इर्द-गिर्द नौ के अंक का अनुभव किया जा सकता है। समाधि नौ बड़े ग्रेनाइड पत्थर के आधार पर बनी है। प्रत्येक पत्थर का वजन डेढ़ टन है। पूरी समाधि में नीचे से ऊपर तक ग्रेनाइट ही प्रयुक्त हुआ है। इन पत्थरों पर कमल की नौ पंखुड़ियां हैं, तो नौ प्रवेश द्वारों के सामने नौ ग्रेनाइट पर वाजपेयी की नौ कविताएं उत्कीर्ण की गई हैं। समाधि के बीचोंबीच 27 किलोग्राम वजन का दीपक निर्बाध रूप से जलता रहेगा। अनवरत दीप प्रज्ज्वलन इसके पहले अमर जवान ज्योति पर भी जारी है। यह सिर्फ संयोग नहीं हो सकता कि दीपक का वजन 27 किलो है और 45 दिन में समाधि का निर्माण हुआ। दोनों का अलग-अलग योग भी नौ ही हुआ करता है। 

यहां तांबे के एक बड़े प्लेट पर वाजपेयी का हिन्दी और अंग्रेजी में परिचय और नौ स्तंभों पर उत्कीर्ण उनकी कविताओं से अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा को प्रतीकात्मक रूप से देखा जा सकेगा। बीते महीने अटल बिहारी वाजपेयी की याद को संजोए रखने के लिए 'अटल स्मृति न्यास' बना है। वाजपेयी के समय ही सरकार ने तय किया था कि किसी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि विशिष्ट जन का स्मारक अब सरकार नहीं बनवायेगी। उसके परिपालन के नजरिए से ही न्यास ने सरकार से सिर्फ भूमि ली है। न्यास के अध्यक्ष पूर्व सांसद विजय कुमार मल्होत्रा हैं। न्यास में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन, गुजरात के राज्यपाल ओपी कोहली, कर्नाटक के गवर्नर वजु भाई वाला, भाजपा महासचिव रामलाल व पत्रकार पद्मश्री रामबहादुर राय शामिल हैं। (हि.स.)

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