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भोपाल गैस त्रासदी की 34वीं बरसी आज, अब तक हरे हैं जख्म, नहीं हटा जहरीला कचरा

Update: 2018-12-02 07:44 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 34 साल पहले हुई दो-तीन दिसम्बर की दरमियानी रात को विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी का दंश शहर के लोग अब भी भुगतने को विवश हैं। लगभग 15 हजार लोगों को मौत की नींद सुलाने और लाखों लोगों को अपाहिज करने वाले इस हादसे के गुनहगारों को इतने साल बाद भी सजा नहीं मिली है। हर साल केवल इस दिन हादसे में दिवंगत हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित कर दी जाती है, लेकिन पीड़ितों को न्याय दिलाने में सरकारों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है, जिसके चलते पीड़ित आज भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं।

साल 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी की 34वीं बरसी के अवसर पर सोमवार, तीन दिसम्बर को प्रदेश के मुख्य सचिव बीपी सिंह की उपस्थिति में बरकतउल्ला भवन (सेंट्रल लाइब्रेरी) में श्रद्धांजलि एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया जायेगा । इस मौके पर भोपाल गैस त्रासदी में दिवंगत गैस पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी और विभिन्न धर्मगुरुओं द्वारा धर्मग्रंथों का पाठ किया जाएगा। इसके अलावा शहर में अनेक जगह श्रद्धांजलि सभाएं होंगी, जिनमें दिवंगतों को श्रद्धांजलि देकर लोग अपने कर्तव्य की इतिश्री करेंगे। भोपाल के स्कूलों में भी इस दिन छुट्टी रहेगी।

बता दें कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में वर्ष 1984 में दो और तीन दिसम्बर की दरमियानी रात को यूनियन कार्बाइड कारखाने से मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिससे 15 हजार 278 लोगों की मौत हो गई थी और छह लाख से अधिक लोग शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए थे। इस गैस कांड को लोग आज तक नहीं भूल पाए हैं। हादसे के बाद कंपनी के मालिक अमेरिका निवासी वारेन एंडरसन रातों-रातों भाग गए थे और इस काम में कांग्रेस शासित प्रदेश और केंद्र की सरकार द्वारा उसकी मदद करने का आरोप पीड़ित परिवारों ने लगाया था। हादसे के बाद कारखाने में जो जहरीला कचरा पड़ा हुआ है, उसका निस्पादन भी अब तक नहीं हो पाया है। इस गैस त्रासदी ने जो जख्म दिए हैं, उसकी पीड़ा अब तक शहर के लोग भुगत रहे हैं।

भोपाल के बीचो-बीच स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे से 35 कॉलोनियों का भूजल तक प्रदूषित हो रहा है, जिसे पीकर लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। भोपाल की गैस प्रभावित बस्तियों में शुद्ध पेयजल की सप्लाई तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है। यूनियन कार्बाइड कारखाना का जहरीला कचरा लोगों के स्वास्थ्य के लिए अब तक घातक बना हुआ है। आरोप है कि इसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकार ने कारखाना के गोदाम और परिसर में बिखरे पड़े जहरीले कचरे को हटाने की कार्रवाई शुरू नहीं की है। अब भी भोपाल के कारखाने में 340 मीट्रिक टन जहरीला कचरा मौजूद है, जो भोपाल वासियों के लिए मौत का कारण बना हुआ है।

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