नई दिल्ली/विशेष प्रतिनिधि। मोदी सरकार दोबारा 30 मई को शपथ-ग्रहण करने वाली है, लेकिन मंत्री के रूप में किसे ताज मिलेगा इस पर सस्पेंस बना हुआ है। लोक कल्याण मार्ग (प्रधानमंत्री निवास) पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बीच मैराथन बैठक हुई, जिसमें सत्ता से संगठन और संगठन से सत्ता में लाने वाले चेहरों को तय कर लिया गया है। परन्तु गोपनीयता ऐसी है कि वह नेता भी अंदाजा नहीं लगा पा रहे, जिनका मंत्री बनना तय माना जा रहा है। पिछले पांच साल में मोदी ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, लेकिन इसकी भनक उन्होंने किसी के नहीं लगने दी। पिछली बार भी मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नेताओं को पता तभी चला जब उनके पास फोन आया। इस बार एनडीए संसदीय दल की बैठक में मोदी ने साफ कर दिया था कि मंत्री वही बनेगा, जिसे वह चाहेंगे और उस नेता को भी तभी पता चलेगा जब वह चाहेंगे। ठीक उसी तरह से सब हो रहा है। भाजपा में जीत कर आए सभी नेता टकटकी लगाए फोन का इंतजार कर रहे हैं। मजेदार बात ये है कि शीर्ष के चार से पांच जिन चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय माना जा रहा है, वह भी परेशान हैं।
क्योंकि मोदी के काम करने का जो तरीका है और नेता चयन की जो प्रक्रिया है, उसमें उन्हें भी विश्वास नहीं हो रहा कि वह सरकार में अंदर रहेंगे या बाहर। सूत्र बताते हैं कि 30 मई को शाम सात बजे नए मंत्रिमडल के शपथ से पहले मंत्रियों का नाम तय करने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए प्रधानमंत्री निवास पर मोदी और शाह की बैठक हुई। इस बैठक में संभवत: सत्ता से संगठन और संगठन से सत्ता में भेजे जाने वाले नामों पर चर्चा हुई होगी। हालांकि जिन राज्यों से ज्यादा सांसद जीत कर आए हैं, वहां के सांसद जातिगत और सामाजिक समीकरण के हिास के अपनी बारी आने की स्थिति का आकलन कर रहे हैं, परन्तु दो के अलावा किसी को नहीं पता कि कौन शपथ लेगा और कौन शपथ देखेगा।