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विपक्ष को पछाड़ने के लिए मोदी सरकार ने बनाई रणनीति

Update: 2018-08-03 05:28 GMT

नई दिल्ली। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों का देखते हुए सभी राजनैतिक पार्टियां ताल ठोंककर मैदान में उतर आईं है। सामाजिक समीकरणों को साधने जुटी पार्टियों का एक ही उद्देश्य है। वो ये कि वोटर में सन्देश जाये कि वही पार्टी उसकी असली रहनुमा है। यही सब सोचकर पिछले दिनों कुछ दिनों से विपक्ष दलित, पिछड़ा और मुस्लिम कार्ड खेल रहा है लेकिन अब लोकसभा चुनाव से पहले सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए बीजेपी ने व्यापक तैयारी शुरू कर दी है। विपक्ष के पिछड़ा, दलित व मुसलमान कार्ड की काट के लिए केंद्र सरकार जल्दी ही नए कानून लेकर आ रही है, ताकि इन वर्गों को सीधा संदेश दिया जा सके कि सरकार को उनकी फ़िक्र है इनमें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने, एससी-एसटी कानून को फिर से पुराने रूप में लागू करने और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के मुद्दे प्रमुख हैं।

इसके अलावा भाजपा नेतृत्व ने विपक्ष की महागठबंधन बनाने की तैयारियों पर भी नजर रखना शुरू कर दी है । भाजपा नेतृत्व हर उस बिंदु पर गौर कर रहा है जो महागठबंधन का मकसद बताया जा रहा है क्योंकि यदि विपक्षी खेमे के एकजुट होने पर पिछड़ा वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक वोट में सेंध लग सकती है। जो एनडीए पर भारी पड़ सकता है। इसकी काट के लिए भी मोदी सरकार ने जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दे दी है और अगले सप्ताह वह राज्यसभा में आएगा। सरकार की कोशिश इसी सत्र में इसे पारित कराने की है, ताकि वह देश भर में पिछड़ों को संदेश दे सके कि भाजपा उनकी सच्ची हितैषी है।

इसी तरह दलित उत्पीड़न मामले में एफआईआर होने पर आरोपी को सीधे जेल भेजने के बजाए जांच करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी सरकार कानून बनाकर पलटने की तैयारी में है। कैबिनेट ने इस बारे में विधेयक को मंजूरी दे दी है और मानसून सत्र में इस पर संसद की मुहर लगना लहभग निश्चित है । विपक्ष के इस मुद्दे पर एनडीए की ओर से केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कमान संभाली थी और जाहिर है कि संसद से कानून को जस का तस रखने का श्रेय भी एनडीए खुद लेने की कोशिश करेगा।

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दों पर भी भाजपा व केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। विदेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर विपक्ष के शोर-शराबे को भाजपा राजनीतिक रूप से भुनाएगी। अभी यह मुद्दा असम तक सीमित है, लेकिन संसदीय समिति की रिपोर्ट आने के बाद संसद के शीत सत्र में सरकार इस बारे में विधेयक भी लेकर आ सकती है। विपक्ष से विरोध होने पर ध्रुवीकरण होने का लाभ राष्ट्रवाद के नाम पर भाजपा ले सकती है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि विपक्ष जितना शोर करेगा, भाजपा उतनी मजबूत होगी।

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