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मातृशक्ति को सम्मान व सुरक्षा के लिए उपयुक्त वातावरण बनाएं : भागवत जी

- वैश्विक स्तर पर गीता का संदेश देने में गीता महोत्सव मील का पत्थर : ओम बिरला - प्रबुद्ध वर्ग का महोत्सव को पुरजोर समर्थन

Update: 2019-12-01 12:45 GMT

नई दिल्ली। समाज मे लोगों के गिरते आचरण पर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हमें हमारे आस-पास का ऐसा वातावरण निर्मित करना चाहिए जिसमें महिलाओं का सम्मान हो। और इसकी शरुआत हमें अपने ही घर से करनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि पुरुषों को मातृशक्ति को देखने का अपना नजरिया बदलना चाहिए। श्री भागवत रविवार को यहाँ लालकिला मैदान में 'गीता प्रेरणा महोत्सव-2019' को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकारों ने इस दिशा में अनेकों कानून बना दिए, लेकिन शासन-प्रशासन की लापरवाही के चलते मातृशक्ति को सम्मान व सुरक्षा नाकाफी है। पूज्यनीय सरसंघचालक जी ने महाभारत काल का एक उद्धरण रखते हुए समझाया कि हमारा प्राचीन भारत कितना गौरवमयी था। अर्जुन ने अप्सरा का प्रणय प्रस्ताव अस्वीकार कर श्राप लेना उचित समझा, पर आचरण से गिर जाना उचित नहीं समझा। यह उन्हीं महापुरुषों की धरती है, जिन्होंने अपने आचरण की प्रतिबद्धता से कभी भी किसी तरह समझौता नहीं किया। नवयुवकों को अपने पूर्वजों का आचरण शिरोधार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के समाज मे मातृशक्ति के साथ जो घटित हो रहा है, बेहद निंदनीय व शर्मसार है।

'गीता प्रेरणा महोत्सव' की जरूरत व उपयोगिता पर जोर देते हुए भागवत जी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से बच्चों में तर्क व ज्ञान की अभिवृद्धि होगी। बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाए, इसके लिए गीता एक श्रेष्ठ माध्यम हो सकती है। उन्होंने कहा कि गीता हमारी विरासत है लेकिन विश्व कल्याण के लिए हमारा अधिकार बन गया है कि इसे दुनिया भर के देशों में भेजा जाए। संतों के प्रयासों से इस दिशा में कदम उठा दिए हैं, अब समाज की बारी है कि इस प्रयास को सफल बनाए।

श्री भागवत ने 'गीता-सुगीता कर्त्तव्य' के मूल मंत्र पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि कर्म प्रधान है, परिस्थितियां कैसी भी हों, बिना कर्म के जीवन अच्छा नहीं बनाया जा सकता। कुछ लोग अच्छे और बुरे के विभेद को समझने में सक्षम होते हैं, ऐसे जो लोग समाज मे यथेष्ठ भूमिका का निर्वाह करते हैं बाकी सब गिर जाते हैं और पथभ्रष्ट हो जाते हैं। वे शरीर, मन और बुद्धि को ही सब कुछ मैन बैठते हैं जबकि इससे परे आत्म स्वरूप को पहचानने में वे विफल हो जाते हैं।

महोत्सव में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, साध्वी ऋतम्भरा, स्वामी परमात्मानंद, स्वामी राघवानंद जी, सिख गुरु भूपेंद्र सिंह जी, जैन मुनि आचार्य लोकेंद्र जी, विवेक जी, इस्लाम फॉउंडेशन के मौलवी अहमद इलियासी जैसे महानुभावों ने गीता के महत्व पर अपने-अपने विचार रखे।

देश के सुदूर राज्यों से आये शिक्षा विद, चिकित्सक, पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने भारी-भरकम उपस्थिति दर्ज कराते हुए गीता महोत्सव का समर्थन किया है। वक्ताओं व सुधीजनों ने इस बात पर जोर दिया है कि सरकार के साथ अब समाज को रामराज्य की स्थापना के लिए आगे आना होगा। इस एकता में गीता सेतु का काम करेगी। स्कूली बच्चों ने गीता पाठ किया। मुस्लिम स्कूली बच्चों ने गीता का उर्दू पाठ प्रस्तुत करते हुए मंच को आश्चर्य चकित कर दिया। ऐसा लगता है समाज को उचित दिशा देने व विश्व कल्याण के लिए गीता वर्तमान समाज की जरूरत बन गई है।

विश्व के कई देशों में होगा गीता महोत्सव : मनोहरलाल खट्टर

गीता महोत्सव को आज अगर राष्ट्रीय विस्तार मिला है तो उसके पीछे हरियाणा सरकार की सोच है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्वामी ज्ञानानंद महाराज के विचार, ज्ञान व तर्क को तर्कसंगत तरीके से प्रभाव में लाने के लिए सहयोग प्रदान किया है। श्री खट्टर खुद रोज गीता का पाठ करते हैं। इतना ही नहीं वे हमेशा गीता को साथ लेकर चलते हैं। उनका मानना है कि जीवन मे उतार- चढ़ाव तो आते ही हैं, लेकिन कभी भी हार नहीं मानना चाहिए। गीता महोत्सव के आयोजन पर उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भले ही उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ हो, पर कर्मक्षेत्र तो उनका हरियाणा ही था। कुरुक्षेत्र में ही उन्होंने अर्जुन को महान उपदेश दिया था। हरियाणा सरकार का फर्ज बनता है कि इस अमूल्य धरोहर का प्रचार-प्रसार हो। लोग जानें कि भारत देवभूमि है और यहाँ के लोग देवतुल्य।

खट्टर ने बताया अगले साल मार्च महीने में ऑस्ट्रेलिया में गीता महोत्सव का आयोजन किया जाना है। अमेरिका, जापान, इंग्लैंड और कनाड़ा से भी इस भव्य महोत्सव का आमंत्रण आया है, जल्द ही योजनाबद्ध तरीके से विस्तार दिया जाना है।

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