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विपक्षी गठबंधन की तोड़ में 2019 जीत के लिए भाजपा का होगा आक्रामक अभियान

यदि विपक्षी दलों ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा, तो और भी कठिन हो जायेगा।

Update: 2018-06-16 14:45 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सूरजकुंड के सरकारी होटल राजहंस में 14,15,16 जून 2018 को हुई बैठक में सभी राज्यों के  भाजपा महासचिवों , संघ के आनुषांगिक संगठनों के प्रमुखों की बैठक में जो सुझाव आये, उसके मुताबिक भाजपा का अपना मजबूत वोट बैंक रहा मध्यम वर्ग जो अब नाराज होने लगा है, को अपने पास बनाये रखने के लिए कुछ ना कुछ करना होगा । पिछड़े व दलितों को अपने साथ जोड़ने के लिए हर स्तर पर लगना होगा, तभी 2019 के लोकसभा चुनाव को 2014 की तरह पूर्ण बहुमत से जीता जा सकता है। भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शामिल हुए थे । अमित शाह 16 जून को पहुंचे और सबके साथ राय-बात की। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जून को सबको अपने आवास पर रात्रि भोज भी दिया था। इन सभी नेताओं ने राज्यों से आये संघ व उसके आनुषांगिक संगठनों के प्रमुखों से 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर फीडबैक लिया। यदि विपक्षी दलों में से कुछ ने गठबंधन करके नवम्बर 2018 में होने वाले राजस्थान , छत्तीसगढ़, म.प्र. विधान सभा व अप्रैल 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा तो भाजपा की स्थिति क्या रहेगी, इस पर मिले इनपुट पर मंथन किया गया।

सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर लोगों के विचार यह थे कि 2014 से 2019 का लोकसभा चुनाव कठिन होगा। और यदि विपक्षी दलों ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा, तो और भी कठिन हो जायेगा। इसी के मद्देनजर चुनावी रणनीति पर विचार-विमर्श हुआ, फीड बैक लिया गया, जिसके आधार पर चुनावी रणनीति की रूपरेखा बनेगी । सूत्रों के मुताबिक 2019  अभियान 2014 से भी बृहद व आक्रामक होगा।

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