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लोकसभा में पास एनआईए संशोधन बिल, शाह और ओवैसी में छिड़ी बहस

Update: 2019-07-15 11:30 GMT

नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी संशोधन विधेयक पास हो गया है। इससे पहले इस पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि सरकार की इस कानून के दुरुपयोग की कोई मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल आतंकवाद को खत्म करने के लिए किया जाएगा, मगर इस दौरान यह भी कतई नहीं देखा जाएगा कि यह किस धर्म के व्यक्ति ने किया है। शाह ने विपक्षी सांसदों के सवालों पर कहा कि पोटा कानून को दुरुपयोग के कारण नहीं, बल्कि वोट बैंक के कारण खत्म किया गया था। इस बहस के दौरान शाह और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली।

गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि इस पर मत-विभाजन जरूर होना चाहिए। इसकी हम भी मांग करते हैं ताकि पता चल जाए कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन नहीं। मत विभाजन में सदन ने 6 के मुकाबले 278 मतों से विधेयक को पारित किए जाने के लिए विचार करने के लिए रखने की अनुमति दे दी। गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक का मकसद एनआईए अधिनियम को मजबूत बनाना है।

गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि एनआईए ने 272 मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की। इनमें 52 मामलों में फैसले आए और 46 में दोष सिद्ध किया जा सका। रेड्डी ने बताया कि 99 मामलों में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह भारतीय एवं भारतीय परिसंपत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो।

उन्होंने कहा कि इसमें मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 उपबंध करता है कि अधिनियम की धारा 1 की उपधारा 2 में नया खंड ऐसे व्यक्तियों पर अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिए है जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के खिलाफ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करते हैं।

अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों को वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के जांच के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि देश के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है। इसमें भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है।

चर्चा के दौरान जब सरकार की तरफ से भारतीय जनता पार्टी के सांसद और मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर सत्यपाल सिंह बोल रहे थे, तब यह नोकझोंक देखने को मिली। उनके भाषण के दौरान ओवैसी बीच में खड़े हुए और विरोध किया लेकिन इस बीच गृह मंत्री अमित शाह खड़े हुए और कहा कि सुनने की आदत डालिए। इस तरह नहीं चलेगा। ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो डराइए मत, जिस पर शाह ने कहा कि वह डरा नहीं रहे हैं, लेकिन अगर डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है। 'राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (संशोधन) विधेयक 2019' पर चर्चा में भाग लेते हुए बीजेपी के सत्यपाल सिंह ने कहा कि हैदराबाद के एक पुलिस प्रमुख को एक नेता ने एक आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका था और कहा कि वह कार्रवाई आगे बढ़ाते हैं तो उनके लिए मुश्किल हो जाएगी।

इस पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी अपने स्थान पर खड़े हो गए और कहा कि बीजेपी सदस्य जिस निजी वार्तालाप का उल्लेख कर रहे हैं और जिनकी बात कर रहे हैं वो यहां मौजूद नहीं हैं। क्या बीजेपी सदस्य इसके सबूत सदन के पटल पर रख सकते हैं?

सदन में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब डीएमके सदस्य ए राजा बोल रहे थे तो ओवैसी ने क्यों नहीं टोका? वह बीजेपी के सदस्य को क्यों टोक रहे हैं? अलग-अलग मापदंड नहीं होना चाहिए। इस पर ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो मुझे डराइए मत, मैं डरने वाला नहीं हूं। शाह ने ओवैसी को जवाब देते हुए कहा कि किसी को डराया नहीं जा रहा है, लेकिन अगर डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है।

शाह ने विपक्षी सांसदों द्वारा पोटा कानून के कथित दुरुपयोग की याद दिलाए जाने पर कहा कि इस कानून को 2004 में यूपीए सरकार की कैबिनेट की पहली बैठक में राजनीतिक मकसद से हटाया गया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की एनआईए कानून के दुरुपयोग की कोई मंशा नहीं है। इसका इस्तेमाल आतंकवाद के खिलाफ किया जाएगा। मगर उसके ‌खिलाफ कार्रवाई करते वक्त हम यह नहीं देखेंगे कि यह किस धर्म के व्यक्ति ने किया है। शाह ने आगे कहा कि तमिल संगठन भी आतंकवाद करते थे, तब भी कठोर कार्रवाई होती थी। किसी ने किसी का धर्म नहीं देखा और न देखना चाहिए। शाह ने कहा कि अगर एनआईए बिल पर संसद बंट गई, तो आतंकवादियों का मनोबल बढ़ेगा।


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