नई दिल्ली/विशेष प्रतिनिधि। केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चि_ी लिखकर मंत्री नहीं बनाए जाने का आग्रह करके मोदी को पशोपेश से बाहर निकाल दिया है। हालांकि जेटली की चिठ्ठी मिलने के बाद मोदी उनसे मिले। कहा जाता है कि मोदी की तरफ से जेटली को सरकार का हिस्सा बने रहने के लिए अन्य विकल्पों का प्रस्ताव दिया गया है।
दरअसल, मोदी और जेटली की जोड़ी बहुत पुरानी है। जेटली को मोदी के सबसे करीबी लोगों में गिना जाता है। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब केन्द्र में जेटली उनके सबसे बड़े पैरोकार थे। केन्द्रीय राजनीति में आने के बाद हर राजनीतिक चर्चा में मोदी ने जेटली को साथ रखा था। 2014 में भाजपा की जीत पर बनने वाली सरकार में जेटली को सबसे बजनदार वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी देकर मोदी ने साफ कर दिया था कि जेटली की अमृतसर से हार उनके लिए कोई मायने नहीं रखती। तब के मंत्रिमंडल गठन में भी जेटली की सलाह पर कई चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी। हाल के लोकसभा चुनाव में भी बीमारी के बाद भी जेटली द्वारा भाजपा मुख्यालय में बैठकर पूरे अभियान को हवा देने का काम किया गया था। यद्यपि इस बार उनकी हालत काफी अच्छी नहीं थी, इसके बाद भी जेटली ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। जेटली मोदी के बहुत अच्छे प्रबंधक रहे हैं। गोधरा कांड रहा हो या केन्द्रीय राजनीति में गठबंधन का गणित बिठाने का मामला हो, जेटली इसमें माहिर हैं। इसीलिए भाजपा छोडऩे के बाद जद (यू) का एनडीए में आने का जो काम हुआ, उसमें जेटली की भूमिका मानी जाती है।
मंत्रिमंडल गठन के ठीक एक दिन पहले जेटली ने पत्र लिखकर खुद को मंत्री पद की जिम्मेदारी से दूर रखने का आग्रह कर मोदी को भी चौका दिया है। जेटली ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए लिखा कि पिछले 18 माह से उनकी तबीयत खराब है ऐसे में वह जिम्मेदारी को नहीं निभा पाएंगे। पत्र में एक आवश्यक बात का उल्लेख उन्होंने जरूर किया कि मैं कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा हूं, जिसमें मेरे डॉक्टरों ने मुझे कई बीमारियों से उबार लिया है। इसका मतलब साफ है कि मंत्री की जिम्मेदारी से अलहदा सरकार उन्हें सलाहकार के रुप में यदि काम देना चाहे तो उससे उन्हें परहेज नहीं है। उन्होंने पत्र में लिखा की कोई जिम्मेदारी न होने से मेरे पास अनौपचारिक तौर पर सरकार और पार्टी का समर्थन करने के लिए समय रहेगा।
सुबह जेटली का पत्र मिलने के बाद नरेन्द्र मोदी शाम साढ़े आठ बजे, अरुण जेटली से मिले। स्वभाविक रुप से मोदी की तरफ से सरकार में उनकी हिस्सेदारी का प्रस्ताव दिया गया होगा। इसके अलावा मंत्रिमंडल के चेहरों को लेकर काी उनसे चर्चा की गई होगी, क्योंकि पिछली बार भी सरकार गठन में जेटली द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई थी। माना ये जा रहा है कि जेटली को नीति आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर मोदी सरकार में उनकी भूमिका कायम रख सकते हैं। क्योंकि इसमें कार्यालय जाने की कोई झंझट नहीं होती और कैबिनेट मंत्री के दर्जा के साथ वह सरकार के वित्तीय मामलों में सहयोगी बने रहेंगे।