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सुप्रीम कोर्ट में सरकार का शपथपत्र, राफेल फैसले में व्याकरण संबंधी गलती सुधारी जाए

Update: 2018-12-15 12:45 GMT

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार की ओर से आज सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दाखिल किया गया जिसमें राफेल युद्धक विमान फैसले की कुछ पंक्तियों में संशोधन करने का आग्रह किया गया है। फैसले की इन पंक्तियों से ऐसा आभास मिला था कि राफेल युद्धक विमान की कीमत के संबंध में नियंत्रक एवं महालेखा परिक्षक (कैग) की रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति द्वारा परखी जा चुकी है तथा इसका संक्षिप्त रूप संसद में पेश किया जा चुका है। यह सबकी जानकारी में है।

रक्षा मंत्रालय के उपसचिव सुशील कुमार की ओर से दाखिल किए गए शपथ पत्र के अनुसार मंत्रालय ने बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को जो जानकारी दी थी और इसके आधार पर जो फैसला लिखा गया था उसमें व्याकरण संबंधी कुछयां हैं। सरकार की ओर से कोर्ट को कैग की रिपोर्ट के संबंध में भावी प्रक्रिया के बारे में बताया गया था। विवादास्पद पैरा 25 की शुरूआती पंक्तियों में कहा गया कि सरकार ने राफेल विमानों की कीमत का ब्यौरा कैग के साथ साझा किया है। यह कथन तथ्यात्मक रूप से सही है लेकिन आगे की पंक्ति में व्याकरण संबंधित त्रुटि है। इसके अनुसार राफेल विमानों के बारे में कैग कि रिपोर्ट जब तैयार होगी तो उसे परिक्षण के लिए पीएसी के सामने पेश किया जाएगा तथा इसका संक्षिप्त रूप संसद में रखा जाएगा। इस वस्तु स्थिति से हटकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह लिखा गया कि कैग की रिपोर्ट का पीएसी ने परीक्षण कर लिया है और इसका संक्षिप्त रूप संसद में रखा गया है।

शपथ पत्र के अनुसार सरकार की रिपोर्ट में 'वर्तमान काल' में तथ्य रखे गए थे जबकि कोर्ट के फैसले में 'भूतकाल' का प्रयोग किया गया जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई। सरकार ने कोर्ट से आग्रह किया है कि वह अपने फैसले के पैरा 25 में संशोधन कर भ्रम की स्थिति दूर करे।

उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ताओं और कांग्रेस पार्टी ने कोर्ट के फैसले के पैरा 25 को आधार बनाकर मोदी सरकार बोल रखा है। उनके अनुसार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को गलत जानकारी देकर गुमराह किया है। शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसी आधार पर मोदी सरकार माखौल उड़ाया था। पीएसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को यह भी कहा कि वह कैग प्रमुख और अटार्नी जनरल को पीएसी की बैठक में तलब करेंगे। (हिस)

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