'एक राष्ट्र, एक चुनाव' कराने के नहीं है पर्याप्त इंतजाम : मुख्य चुनाव आयुक्त

Update: 2018-08-14 14:21 GMT

नई दिल्ली/पटना। मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी.रावत का कहना है कि उनके पास सिर्फ 7-8 राज्यों में ही एक साथ चुनाव कराने के इंतजाम हैं। ग्यारह राज्यों में एक साथ चुनाव कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों में सहमति जरूरी है। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके पास 11 राज्यों में एक साथ चुनाव कराने के पर्याप्त साधन भी नहीं हैं। उधर, एनडीए का हिस्सा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ करा पाना संभव नहीं है जबकि कांग्रेस ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' को भाजपा के राजनीतिक फायदे का स्टंट करार दिया है।

मंगलवार को रावत ने देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की तेजी से उठ रही मांग के मद्देनजर कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए पहले राजनीतिक दलों की सहमति और फिर उसके बाद संविधान संशोधन की जरूरत होगी।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को एक साथ कराने के लिए सरकार सर्वदलीय बैठक के जरिए आम सहमति बनाने में जुटी हुई है। यह बैठक विधि आयोग द्वारा मामले में कानूनी प्रक्रिया की सिफारिश के बाद आयोजित की जा सकती है। फिलहाल सरकार विधि आयोग की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है जो एक साथ चुनाव कराने के लिए कानूनी प्रक्रिया का प्रारूप पेश करेगी।

उधर, एनडीए के सहयोगी एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को पटना में कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ करा पाना संभव नहीं है।

अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना का शुभारंभ करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि दोनों चुनाव एक साथ कराया जाना चाहिए, इसपर उनकी वैचारिक सहमति है, किन्तु यह फिलहाल संभव नहीं लगता । वर्तमान परिस्थिति के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो पाना संभव नहीं है ।

न्याय के साथ विकास की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए नीतीश कुमार ने विपक्ष पर निशाना साधा और कहा कि बड़े लोगों को लाभ देने और कुछ कारखानों को खुलवा लेने से विकास नहीं होता। उन्होंने विपक्ष पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया । उन्होंने लोगों को सचेत किया कि कुछ लोग सौहार्द्र बिगाड़ने में लगे हैं, जिनसे सावधान रहने की जरूरत है |

इन कोशिशों के बीच मंगलवार को नई दिल्ली में कांग्रेस ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 'एक राष्ट्र एक चुनाव' करवाने के पत्र को केवल राजनीतिक फ़ायदे का स्टंट क़रार देते हुए कहा कि इसको लागू करने के लिए तो चार राज्यों के विधानसभा चुनाव रोकने की बजाय जल्द से जल्द लोकसभा भंग करनी चाहिए।

कांग्रेस संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने शाह के पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा हार के डर से यह नाटक कर रही है। 'एक राष्ट्र एक चुनाव' के नाम पर मनमानी की गई तो कांग्रेस इसे न्यायालय में चुनौती देगी। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा चार राज्यों के विधानसभा चुनाव रोककर वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की सोच रही है तो ये लोकतंत्र के लिए बेहद गलत फैसला होगा। अगर एक साथ चुनाव ही कराने हैं तो लोकसभा भंग कर साथ कराएं। राज्यों में चुनाव समय पर हों।

उन्होंने कहा कि भाजपा के मन में चुनाव सुधार की भावना होती तो इस मसले पर उन्हें किसी भी ऐलान से पहले विपक्षी दलों से राय लेनी चाहिए लेकिन ये राजनीतिक फ़ायदे और चुनावी लाभ अर्जित करने की रणनीति है। इसलिए एक साथ चुनाव की बात की जा रही है।

गहलोत ने चुनौती देते हुए कहा कि भाजपा चाहे तो राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत जिन राज्यों में चुनाव सम्भावित हैं उनके साथ लोकसभा चुनाव करवाये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरी तरह से घबराये हुए हैं। अगर संविधान संसोधन कर एक चुनाव करवाना है तो करवायें, कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है।

उल्लेखनीय है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग के न्यायमूर्ति बलवीर चौहान को पत्र लिख कहा है, 'एक देश एक चुनाव' से खर्चों पर लगाम लगाने एवं देश के संघीय स्वरूप को मजबूत बनाने में सहायता मिलेगी। ये आधारहीन दलील है कि एक साथ चुनाव देश के संघीय स्वरूप के खिलाफ है । इसका विरोध करना राजनीति से प्रेरित लगता है।

गौरतलब है कि मिजोरम, राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है। इसके दो माह बाद ही अप्रैल में लोकसभा चुनाव होने हैं, जिसके साथ तेलंगाना, ओडिशा, सिक्किम और आंध्र प्रदेश का कार्य़काल समाप्त हो रहा है, जिसके दो माह बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होंगे।

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