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देश के विकास के लिए सरकार के साथ मिलजुलकर प्रयास करने होंगे: उपराष्ट्रपति

उत्कृष्टता के लिए नायडु ने किया 35 लोगों को सम्मानित

Update: 2018-12-26 17:45 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। देश को अगर तरक्की की राह पर ले जाना है तो सरकार के साथ हमें भी मिलकर प्रयास करने होंगे। ऐसा नहीं है कि आपके प्रयासों के बिना सरकार ही अकेले इस तरक्की की जंग को जीत लेगी। यह मुकाम तभी संभव है जब देश की जनता सरकार के साथ कामयाबी के लिए कदमताल करेगी। यह बात उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को नीति आयोग के समर्थन में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। श्री नायडू ने कहा कि विश्व की तेजी से दौड़ती आर्थिकी में भारत ने छटा स्थान हासिल करते हुए अपने विकास का लोहा मनवा दिया। अब हमें अंतिम छोर पर बैठे लोगों के विकास के लिए एकजुट होकर सरकार के लक्ष्य को पूरा करना है। कार्यक्रम में देश के 115 जिलों से चुने गए उनके विभिन्न कार्याें के योगदानों के लिए 35 उम्मीदवारों को सम्मान प्रदान करते हुए नायडू ने कहा कि इन उम्मीदवारों को सम्मान प्रदान करने में मुझे सही मायने में गर्व महसूस हो रहा है। जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में देश के लिए कड़ी मेहनत करके आम लोगों के जीवनस्तर उंचा उठाने में योगदान दिया। इनमें वे लोग शामिल हैं जो प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मंत्री, सामाजिक कार्यकर्ता या उद्योगपति रहे हैं। सम्मानित होने वालों मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री निरंजना ज्योति व कई जिलों के पुलिस अधीक्षक शामिल हैं।

विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र रहे शिवकुमार शर्मा ने अभूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संस्मरणों को सुनाकर श्रोताओं में श्रद्धा के भाव जगाए। न सभागार में बैठे गणमान्य जन और न ही खुद शिवकुमार यह मानने को तैयार थे कि वाजपेयी जी हम सबों के बीच नहीं रहे। वे हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगे। वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक से लेकर न्यायमूर्ति के जी बालाकृष्णन, न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्रा जाने-माने फिल्म निर्माता सुभाष घई, पहलाज निहलानी, फिल्म अभिनेता गोविंदा ने वाजपेयी जी को स्मृतियों में बनाए रखने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों की जरूरत पर जोर दिया।

संसार में क्या कार्य से बढ़कर भी कुछ होता है? कर्म से व्यक्ति स्वर्ग और कर्म से ही नरक के द्वार खोलता है। कर्म ही व्यक्ति को महान बनाता है। एक कर्मयोद्धा ने कर्म से इबारत लिखी तो जननायक बनते हुए राष्ट्रनायक बना। अपनों में तो कई शान बन जाते हैं लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी अकेला ऐसा नाम है जो विरोधियों की शान हुआ करते थे। वाजपेयी जी न रहे हों पर वे हृदय में हैं, वे हृदय में थे और रहेंगे। पांच दशक से ज्यादा वाजपेयी के साथ रहने वाले उनकी सेवा करने वाले शिवुकमार शर्मा अपने सेवा भाव से एक ऐसे इतिहास का हिस्सा बन गए जिनके बिना वह इतिहास मानो अधूरा रहेगा और वह नाम है शिवकुमार शर्मा का। मंच पर बैठे शिवकुमार में वाजपेयी की छवि दृष्टिगत हो रही थी। उनके उपदेश में निकल रहे वाक्यों में ऐसा लग रहा था मानो खुद वाजपेयी मंच पर आकर भाषण दे रहे हैं। अगर वाजपेयी युग प्रर्वतक थे तो उनका यह सेवक सेवाव्रती नहीं है, क्या? अगर हां, तो इतिहास में सुमंत, संजय, पन्ना धाय के बाद शिवकुमार शर्मा भी एक प्रमुख पात्र के चरित्र की भूमिका में खड़े नजर आ रहे हैं। सही मायने में शिवकुमार शर्मा अब एूतिहासिक पात्र बन गए हैं।

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