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दिहाड़ी मजदूर की तरह होता है संसद सदस्य: सुमित्रा महाजन

Update: 2019-01-04 14:04 GMT

नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्षा सुमित्रा महाजन ने कहा कि राजनीति में जनसेवा प्रतिनिधियों का मुख्य ध्येय होना चाहिए। लोकसेवकों को अपनी जवाबदेही तय करना चाहिए। हर एक दिन का लेखा-जोखा। यह लेखा-जोखा अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को देना होता है। श्रीमती महाजन गुरूवार को यहां महाराष्ट्र के सांसद श्रीरंग अप्पा बारणे की पुस्तक ''मी अनुभवलेली संसद'' के लोकार्पण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं। आने आठ बार के संसदीय सदस्य होने के अनुभवों को परोसते हुए उन्होंने कहा कि संसद में आकर हमें समय पास न करके बल्कि जनता की सेवा में निरंतर तत्पर रहकर अपने ध्येय को पूरा करना चाहिए। लोकार्पण कार्यक्रम में केंद्रीय ग्रह राज्यमंत्री हंसराज अहिर, केंद्रीय मंत्री अनंत गीते, शिवसेना के संजय राउत, जितेंद्र रेड्डी, आनंद राव अडसूल भी मौजूद थे।

श्रीमती महाजन ने कहा कि लोकसभा सदस्य अपने संसदीय क्षेत्र का दिहाड़ी मजदूर की तरह सेवक होता है। जिसे हर दिन का लेखा-जोखा रखकर जनता को देना होता है। संसद की पंरपरा पर विस्तार से चर्चा करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जब सदस्यगण काम में कोताही बरतते हैं तो उन्हें डांटना भी पड़ता है लेकिन इसके इतर अच्छे कार्याें के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया जाना चाहिए। और ऐसा होता है। किसी सांसद को सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से नवाजा जाता है। इसके पीछे मंशा यही रहती है कि सदस्य और उत्साह के साथ जनता की सेवा करे। अपने अनुभव को गिनाते हुए महाजन ने कहा कि संसदीय क्षेत्र में जाना, भाषयी संवाद स्थपित करना, लोगों की समस्याएं जानना, फिर संसद में अपनी बात रखना बड़ा ही कठिन कार्य होता है और इसके लिए कितनी तैयारी करनी पड़ती है। कई बार तो प्रश्न करे समय उसका अर्थ जब स्पष्ट नहीं हो पाता तो काट दिया जाता है या ध्वनिवाहक यंत्रों को ही बंद कर देना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि ऐसे व्यस्ततम समय में समय निकालकर पुस्तक लिख लेना बड़ा कठिन कार्य होता है। पुस्तक पढ़ने की आदत सबको रखनी चाहिए। ऐसा नहीं कि इंटरनेट पर देख लेंगे। इस तरह की सोच से बचना चाहिए।

इस मौके पर संजय राउत ने बारणे के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वे अच्छे वक्ता होने के साथ-साथ यादों व अनुभवों को सहेजने के लिए लेखन कार्य में लगे रहते हैं। संसद में लोकहित के मुद्दे जोरदार तरीके से उठाते हैं।

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