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एमजे अकबर की मानहानि याचिका पर 31 अक्टूबर को सुनवाई करेगी अदालत

Update: 2018-10-18 10:48 GMT

नई दिल्ली / स्वदेश वेब डेस्क। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने याचिकाकर्ता एमजे अकबर और अन्य गवाहों की गवाही के लिए 31 अक्टूबर की तिथि नियत की है। 31 अक्टूबर को एमजे अकबर अपना बयान दर्ज कराएंगे।

मामले की सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने कोर्ट से कहा कि प्रिया रमानी द्वारा किए गए ट्वीट के माध्यम से यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। इससे हमारी छवि को काफी नुकसान हुआ। हमने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। गीता लूथरा ने कहा कि प्रिया रमानी के ट्वीट की वजह से उनकी 40 सालों की अर्जित प्रतिष्ठा को देश और अंतरराष्ट्रीय जगत में काफी नुकसान पहुंचा है।

एमजे अकबर ने पिछले 15 अक्टूबर को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है। अपनी याचिका में कहा है कि इनके आरोप जब के हैं उस समय के बाद तक उन लोगों ने साथ ही काम किया था। इसका मतलब साफ है कि उन्हें कोई परेशानी नहीं थी। अपने खिलाफ लगे आरोपों को उन्होंने बेबुनियाद बताया है। याचिका में एमजे अकबर ने कहा है कि रमानी के खिलाफ अपराध प्रक्रिया संहिता के मुताबिक मुकदमा चलाया जाए।

एमजे अकबर के खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप सबसे पहले प्रिया रमानी ने ही लगाया था। उसके बाद कई महिला पत्रकारों ने मीटू अभियान के तहत एमजे अकबर के खिलाफ यौन प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों की वजह से राजनीतिक पारा काफी ऊपर हो गया और एमजे अकबर के ऊपर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया था लेकिन एमजे अकबर ने इस्तीफा देने की बजाय कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है।

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