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देश ने गांधी परिवार की सत्ता हवस को पूरा करने की चुकाई है भारी कीमत : मोदी

Update: 2019-03-20 03:30 GMT

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मतदाताओं को आगाह किया कि देश ने एक परिवार की सत्ता की हवस को पूरा करने की भारी कीमत चुकाई है। मतदान करने के पहले लोगों को यह सोचना होगा कि जिन लोगों ने हमेशा देश को दांव पर लगाया है उन्हें सत्ता से कैसे दूर रखा जाए।

मोदी ने बुधवार को एक ब्लॉग में कहा कि कांग्रेस और गांधी परिवार ने प्रेस से लेकर संसद, सैनिकों से लेकर अभिव्यक्ति की आजादी तक और संविधान से लेकर न्यायपालिका तक सबका अपमान किया है। कांग्रेस की यह सोच रही है कि 'खाता न बही, कांग्रेस जो कहे वही सही।' कांग्रेस की इस कुत्सित राजनीति के प्रति सजग रहना देशवासियों की जिम्मेदारी है। मतदाताओं ने वर्ष 2014 के चुनाव में परिवार तंत्र की बजाय लोकतंत्र को चुना था। आगामी चुनाव में भी इसी आधार पर मतदान करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि वंशवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टियां हमेशा अपने लिए खतरा मानती हैं। यही कारण है कि कांग्रेस सरकार द्वारा लाया गया सबसे पहला संवैधानिक संशोधन फ्री स्पीच पर रोक लगाने के लिए ही था। फ्री प्रेस की पहचान यही है कि वो सत्ता को सच का आईना दिखाए, लेकिन उसे अश्लील और असभ्य की पहचान देने की पुरजोर कोशिश की गई।

मोदी ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि पूर्व की संयुक्त प्रगतीशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के शासनकाल में भी ऐसा ही देखने को मिला, जब वे एक ऐसा कानून लेकर आए, जिसके मुताबिक अगर आपने कुछ भी 'अपमानजनक' पोस्ट कर दिया तो आपको जेल में डाल दिया जाएगा। यूपीए के ताकतवर मंत्रियों के बेटे के खिलाफ एक ट्वीट भी निर्दोष आदमी को जेल में डाल सकता था।

कुछ दिनों पहले ही देश ने उस डर के साये को भी देखा, जब कुछ युवाओं को कर्नाटक में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया, जहां कांग्रेस सत्ता में है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि किसी भी तरह की धमकी से जमीनी हकीकत नहीं बदलने वाली है। अगर वे जबरदस्ती अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकने का प्रयास करेंगे, तब भी कांग्रेस को लेकर लोगों की धारणा नहीं बदलेगी।

कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को चोट पहुंचाने के आरोपों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र पर इस तरह का हमला कांग्रेस ने ही किया है। इस समय ने उन्होंने इंदिरा गांधी के शासनकाल से लेकर पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार तक के शासनकाल का उदाहरण पेश किया । उन्होंने कहा कि 25 जून, 1975 की शाम जब सूरज अस्त हुआ, तो इसके साथ ही भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की भी तिलांजलि दे दी गई। आपातकाल ने देश को रातों-रात जेल की कोठरी में तब्दील कर दिया। यहां तक कि कुछ बोलना भी अपराध हो गया।

42वें संविधान संशोधन के जरिए अदालतों पर अंकुश लगा दिया गया। साथ ही संसद और अन्य संस्थाओं को भी नहीं बख्शा गया।

जनता की भावनाओं को देखते हुए इस आपातकाल को तो समाप्त कर दिया गया, लेकिन इसे थोपने वालों की संविधान विरोधी मानसिकता नहीं बदली। कांग्रेस ने अनुच्छेद 356 का लगभग सौ बार इस्तेमाल किया। अदालतों की अवमानना करने में तो कांग्रेस ने महारत हासिल कर ली है। इंदिरा गांधी ही थीं, जो 'प्रतिबद्ध न्यायपालिका' चाहती थीं। वो चाहती थीं कि अदालतें संविधान की जगह एक परिवार के प्रति वफादार रहें।

'प्रतिबद्ध न्यायपालिका' की इसी चाहत में कांग्रेस ने भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की नियुक्ति करते समय कई सम्मानित जजों की अनदेखी की।

मोदी ने कहा कि कांग्रेस के काम करने का तरीका एकदम साफ है , पहले नकारो, फिर अपमानित करो और इसके बाद धमकाओ। यदि कोई न्यायिक फैसला उनके खिलाफ जाता है, तो वे इसे पहले नकारते हैं, फिर जज को बदनाम करते हैं और उसके बाद जज के खिलाफ महाभियोग लाने में जुट जाते हैं।

मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में सरकारी संस्थानों की स्थिति का जिक्र करते हुए उनकी एक टिप्पणी में का उल्लेख किया जिसमें योजना आयोग को 'जोकरों का समूह' कहा था। उस समय योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मनमोहन सिंह थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी उनकी इस टिप्पणी से साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस सरकारी संस्थाओं के प्रति किस प्रकार की सोच रखती है और कैसा सलूक करती है।

उन्होंने यूपीए शासन के दौर की यादि दिलाते हुए कहा कि उस समय कांग्रेस ने भारत के नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (सीएजी) पर सिर्फ इसलिए सवाल उठाए थे, क्योंकि उसने कांग्रेस सरकार के टूजी घोटाला, कोयला घोटाला जैसे भ्रष्टाचार को उजागर किया था।

यूपीए शासन के समय में सीबीआई कांग्रेस ब्यूरो ऑफ,आईबी और रॉ जैसे महत्वपूर्ण खुफिया संस्थानों में जानबूझकर तनाव पैदा किया गया।

मोदी ने कहा कि इतना ही नही केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णय को एक ऐसे व्यक्ति ने फाड़ दिया था, जो कैबिनेट का सदस्य भी नहीं था और वह भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान।

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भ्रष्ट नेताओं के चुनाव लड़ने को लेकर मनमोहन सरकार के मंत्रिमंडल के एक फैसले को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह कहते हुए फाड़ कर फेंक दिया कि यह फैसला उनके लिए एक रद्दी के समान है।

मोदी ने कहा कि मनमोहन सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय के महत्व को कम करते हुए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) को उसके समानांतर खड़ा कर दिया गया था और वही कांग्रेस आज संस्थानों की बात करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से रक्षा क्षेत्र को कमाई के एक स्रोत के रूप में देखा है। यही कारण है कि सशस्त्र बलों को कभी भी कांग्रेस से वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। 1947 के बाद से ही, कांग्रेस की हर सरकार में तरह-तरह के रक्षा घोटाले होते रहे। घोटालों की इनकी शुरुआत जीप से हुई थी, जो तोप, पनडुब्बी और हेलिकॉप्टर तक पहुंच गई। मोदी ने गांधी परिवार का नाम लिए बिना ही कहा कि रक्षा सौदों में हर बिचौलिया एक खास परिवार से जुड़ा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस में आतंरिक लोकतंत्र का अभाव रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल उस जीवंत संस्था की तरह होते हैं, जहां भिन्न-भिन्न विचारों का सम्मान होता है। लेकिन दुख की बात है कि कांग्रेस का आंतरिक लोकतंत्र में कोई विश्वास ही नहीं है। अगर कोई नेता पार्टी अध्यक्ष बनने का सपना भी देखे, तो कांग्रेस में उसे फौरन बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

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