थ्री 'आर' को कांग्रेस बनायेगी चुनावी मुद्दा, संसद की कार्यवाही करेगी ठप
नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। कांग्रेस ने तीन 'आर ' – राफेल, राकेश (सीबीआई) और रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) मुद्दे को केन्द्र सरकार के विरुद्ध चुनावी ब्रह्मास्त्र बनाने की तैयारी कर ली है। इन तीनों के घोटाले, भ्रष्टाचार के मामले उठाते हुए इससे देश, जनता, किसानों, छात्रों, युवाओं, सैनिकों, व्यापारियों, बेटियों, बहनों, महिलाओं, एनआरआई आदि की समस्याओं, मंहगाई, नोटबंदी, तेल का दाम, बेरोजगारी, किसानों की मौत आदि को भी जोड़ने की योजना बना ली है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनावी सभाओं में राफेल मुद्दे पर पहले से ही केन्द्र में सत्ताशीर्ष व उनके उद्योगपति मित्र को निशाने पर लिये हुए हैं। उन्होंने बुधवार को राजस्थान में एक चुनावी रैली में इसमें राकेश (सीबीआई) व उनसे जुड़े रॉ अफसरों और इनके संरक्षकों को भी निशाने पर ले लिया। इसके लिए ठीक उसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, जिस भाषा का प्रयोग 2014 में आज की सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख कर रहे थे।
इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि राफेल, सीबीआई व रॉ का जो मामला सामने आया है, वह इस सरकार व इसके प्रमुख की नीति, नियति व कार्य पद्धति को उजागर करती है। इन सबको कांग्रेस हर उचित फोरम पर उठायेगी। इसके बारे में जनता को बतायेगी।
एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल घोटाले को तो चुनावी मुद्दा बना ही दिया है, सीबीआई (इसके नम्बर 2 राकेश अस्थाना जो कि केन्द्र सत्ता सर्वोच्च के खास हैं और उनके चहेते रॉ के नम्बर 2 सामन्त कुमार गोयल के भ्रष्टाचार मामले के चलते) रॉ में आरोपितों की नियुक्तियों को भी मुद्दा बनाया जायेगा। यह मुद्दा आगामी संसद सत्र में भी उठेगा।
इस बारे में पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर का कहना है कि यह चुनावी मुद्दा तो बन ही गया है। जनता में यह भी धारणा बन गई कि सीबीआई भी घूसखोर पुलिस है। इस तरह इसकी भी साख रसातल में चली गई। पुलिस वाले घूस लेकर किस तरह से काम करते हैं, उगाही करते हैं, यह तो सबको पता है। उन्ही पुलिस वालों में से सीबीआई में अफसर बन रहे हैं। पहले तो कभी – कभी सुनने में आता था कि फलां सीबीआई वाला घूस लेते हुए पकड़ा गया। सीबीआई ने घूस लेकर अपराधी को बचाने का काम किया। अब तो सीधे सीबीआई के दूसरे नम्बर के अफसर पर करोड़ों रुपये घूस लेने का आरोप लगा है। और यह भी आरोप लगा है कि उसने अपने बचाव में सीबीआई निदेशक पर 3 करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप अपने चहेते एक डीएसपी सीबीआई के मार्फत किसी के फर्जी बयान दर्ज करके लगवा दिया। यह तो सीबीआई के इतिहास में पहली बार हुआ है, जिसके बाद सीबीआई चीफ ने अपने को इसके मार्फत फंसाया जाता हुआ देख दूसरे नम्बर के अफसर व उसके कहने पर यह सब किये डीएसपी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा दी। उसके बाद सीबीआई ने उस डीएसपी को गिरफ्तार कर लिया, जिसको न्यायालय ने एक सप्ताह के लिए सीबीआई रिमांड पर दे दिया।
इस तरह सीबीआई में एक मांस व्यापारी को बचाने के लिए करोड़ो रुपये घूस मांगने का मामला पहली बार उजागर हुआ है, जिससे सीबीआई की रही सही साख भी रसातल में चली गई।
यह भी उजागर हुआ है कि यह सरकार भी अपने यसमैनों को सीबीआई में लाकर अपने विरोधी दलों के नेताओं का टार्गेट करने का उसी तरह कार्य कर रही है, जो पहले की सरकारों पर आरोप लगता रहा है। ऐसे में सत्ता के आका के खास होने के घमंड में यदि कोई सीबीआई अफसर इस तरह से किसी हवाला कारोबारी, मांस व्यापारी से उसको बचाने के बदले तथाकथित करोड़ों रुपये का सौदा करता है, तो यह तो भयावह स्थिति है। इसे मुद्दा तो बनना ही है। इससे तो सरकार व सीबीआई दोनों की ही साख मिट्टी में मिली है।
इस मामले सर्वोच्च न्यायालय के वकील विनयप्रित सिंह का कहना है कि देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी सीबीआई में जो कुछ हुआ है और जिस तरह से हुआ है, उसकी जिम्मेदार सरकार है। अपने को जबरिया कार्यमुक्त किये जाने तथा किसी अन्य को प्रभार दे दिये जाने के विरोध में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिस पर 26 अक्टूबर को सुनवाई है। उसमें अब सभी संबंधित दस्तावेज सरकार को रखने पड़ेंगे। इसमें वह सब सामने आ सकता है जो तोपने - ढकने की कोशिश हो रही होगी।
इस बारे में भाजपा सांसद लाल सिंह बड़ोदिया का कहना है कि चुनाव में मुद्दे तो एक से बढ़कर एक उठाये जाते हैं। विपक्ष हर मुद्दे को उठायेगा लेकिन मोदी को ऐसे मुद्दों से निपटना आता है। कुछ भी मुद्दा बने, वह अगला चुनाव भी जीतेंगे।