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राजनीतिक लाभ के लिए कांग्रेस ने रची हिंदू आतंकवाद की साजिश : जेटली

Update: 2019-03-29 12:13 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए आज कहा कि विपक्षी दल ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए हिंदू आतंकवाद बोलकर मनगढ़ंत कहानी बनाई और पूरे हिंदू समाज को कलंकित करने का काम किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने इस कृत्य के लिए पूरे समाज से माफी मांगनी चाहिए।

जेटली ने शुक्रवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) और कांग्रेस के पास कोई सबूत नहीं था। ऐसे में तब कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद बोलकर, हिंदू समाज को कलंकित करने का काम किया। उन्होंने कहा कि इतिहास में इस तरह से हिंदू समाज को बदनाम करने का काम पहली बार हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मामले में हिंदुओं को आतंकी मान रही थी, इसलिए फर्जी तरीके से तीन-चार मुकदमे बनाए गए, जिसमें से एक भी न्यायालय में टिक नहीं पाया।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस ने महज राजनीतिक लाभ लेने के लिए झूठी और मनगढ़ंत कहानी बनाई। इसके साथ ही आरोपितों को 10-10 साल तक जेलों में रखा गया जबकि जज ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस केस में कोई गवाह नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिना किसी सबूत के हिंदू समाज को बदनाम करने के लिए हिंदू आतंकवाद की साजिश गढ़ी गई और बेगुनाह लोगों को पकड़ा गया।

भाजपा नेता ने कहा कि समझौता मामले की पूरी कहानी झूठे तथ्यों पर आधारित था।

उन्होंने अपरोक्ष रूप से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका पर निशाना साधते हुए कहा कि हिंदुओं को आतंकवादी कहने वाले लोग अब धार्मिक होने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। उन्होंने प्रियंका गांधी के अयोध्या जाने पर कहा कि यह अच्छी बात है कि वह अयोध्या गई हैं। अब कांग्रेस को ये स्वीकार करना चाहिए कि यही रामजन्मभूमि है।

उल्लेखनीय है कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में पंचकूला की स्पेशल कोर्ट के जज ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) को फटकार लगाई है। कोर्ट ने इस मामले पर पिछले सप्ताह सुनाए गए अपने फैसले को अब सार्वजनिक कर दिया है। ब्लास्ट के आरोपितों की रिहाई का आदेश देने वाले जज ने अपने फैसले में कहा है कि एनआईए सबसे मजबूत सबूत ही अदालतश करने में नाकामयाब रही, साथ ही मामले की जांच में भी कई लापरवाही बरती गई। न्यायालय ने इस मामले में 20 मार्च को आरोपित स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को बरी कर दिया था।

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