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Congress Bharat Bachao Rally: नागरिकता संशोधन कानून ने देश की आत्मा को तार-तार किया - सोनिया गांधी

Update: 2019-12-14 08:15 GMT

नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की सरकार मनमाने ढंग से कानून बना रही है। अब उन्होंने 'संविधान की धज्जियां' उड़ाते हुए नागरिकता पर कानून बनाया है। नागरिकता संशोधन विधेयक ने देश की 'आत्मा को तार-तार कर दिया है'।

हाल ही में केन्द्र सरकार ने तीन देशों से प्रताड़ित होकर भारत में अवैध ढंग से रह रहे वहां के अल्पसंख्यकों (गैर-मुस्लिमों) को नागरिकता देने संबंधित विधेयक पारित किया है। इसे नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) के नाम से जाना जाता है।

रैली को संबोधित करते हुए सोनिया ने अपने चिर-परिचित अंदाज में भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर विभाजनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया। 'भारत बचाओ' रैली को संबोधित करते हुए सोनिया ने कहा कि मोदी सरकार लोगों को आपस में लड़ाने में लगी हुई है। उनकी पार्टी लोकतंत्र, संविधान और देश की रक्षा के लिए किसी भी कुर्बानी देने और संघर्ष करने के लिए तैयार है।

सोनिया गांधी के नेतृत्व में आने के बाद से ही कांग्रेस दिल्ली में इस तरह के बड़े आयोजन की योजना बना रही थी। उन्होंने आते ही संदेश दिया था कि पार्टी नेताओं को ट्वीटर पर बैठकर बयान देने की बजाय जमीन पर उतरकर संघर्ष करने का रास्ता अपनाना होगा। अपने पूरे भाषण के दौरान सोनिया गांधी कार्यकर्ताओं से हर मुद्दे पर पूछती रहीं कि 'क्या वह संघर्ष के लिए तैयार हैं'। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में ही कहा कि 'अब इस पार या उस पार' का फैसला लेना होगा और 'कठोर संघर्ष' करना होगा।

सोनिया गांधी ने भारतीय जनता पार्टी के सरकार संचालन के तरीके पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि सरकार मनमाने ढंग से काम कर रही है। 'कहीं धारा हटा लो, कहीं राष्ट्रपति शासन लगा दो-हटा लो, राज्य को केन्द्र शासित प्रदेश बना दो, विधेयक पास करा लो' यही चल रहा है। पार्टी ऐसा कर संविधान की धज्जियां उड़ा रही है।

उन्होंने कहा कि देश में आज 'अंधेर नगरी-चौपट राजा' वाला हाल है। देश के अन्नदाता किसान का जीना मुश्किल हो गया है। उसे अपनी फसल की पूरी कीमत नहीं मिल रही है। दो वक्त की रोटी जुटाने में आम आदमी को परेशान होना पड़ रहा है। युवाओं को बेरोजगारी के चलते अपना भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है। कर्ज लेकर काम धंधा शुरु करने वाले बरबाद हो रहे हैं। उन्होंने पूछा, 'क्या यही अच्छे दिन थे'।

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