SwadeshSwadesh

मोदी सरकार की बड़ी जीत, राज्यसभा से भी पारित हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक

-लोकसभा और राज्यसभा से भी नागरिकता संशोधन बिल पास, अब लेगा कानून का रूप -105 के मुकाबले 125 मतों से विधेयक पारित -शिवसेना सहित 10 सदस्यों ने किया बहिष्कार

Update: 2019-12-11 15:15 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। लोकसभा में नागरिकता विधेयक पारित हो जाने के बाद सरकार ने बुधवार को उच्च सदन की अग्नि परीक्षा को भी अच्छे अंकों से पास कर लिया। लोकसभा में सरकार का स्पष्ट बहुमत होने के कारण विधेयक का पारित होना अगर औपचारिकता थी पर उच्च सदन में तो ऐसा नहीं था। जहां सरकार के पास अंक न होते हुए भी उसने पर्याप्त अंक जुटा लिए। लोकसभा में विधेयक का समर्थन करने वाली शिवसेना ने एन वक्त पर यू-टर्न लेते हुए राज्यसभा में मतदान में हिस्सा न लेकर सदन से बहिष्कार करने का निर्णय लिया। ऐसी ही मनःस्थिति कुछ जदयू की थी जिसने अंत में सरकार का साथ दिया। लोकसभा में कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों का विरोध, केवल विरोध के लिए था। अगर नैतिक होता तो राज्यसभा में यह विधेयक धराशायी हो जाता। हां, उच्च सदन में चर्चा जरूर सारगर्भित रही। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल व गुलाम नबी आजाद की विधेयक पर दी गईं दलीलें भाजपा अध्यक्ष व गृह मंत्री अमित शाह व कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, भूपेंद्र सिंह, विनय सहस्त्र बुद्धे व सुब्रामणियम स्वामी जैसे वक्ताओं की दलीलों के मुकाबले में नाकाफी हैं। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चर्चा में भाग लेकर नागरिकता के संदर्भ में विस्तार से कानूनी प्रावधानों को रखा।

गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों सदनों मंे बार-बार भरोसा दिलाया कि विधेयक मुसलमानों के विरोध में नहीं है। किसी भी जाति विशेष के लोगों को इस विधेयक से डरने की जरूरत नहीं है। यह सभी वर्ग के लोगों का सम्मान बनाए रखने के प्रति प्रतिबद्ध है। कानून संविधान सम्मत है। विधेयक के संशोधन की जरूरत पर जोर देकर कहा कि बंटवारा अगर धर्म के आधार पर नहीं होता तो आज इस विधेयक में संशोधन करने की जरूरत नहीं पड़ती। उत्तर-पूर्वी राज्यों में नाहक भ्रम फैलाया जा रहा है। जो लोग इस पुनीत कार्य के लिए आगे आना चाह रहे हैं कांग्रेस उन्हें बहकाने में लगी है। उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोग विधेयक का विरोध कर रहे हैं। लेकिन समय रहते वे मूल धारा में लौट आएंगे।

कांग्रेस हमलावर तो थी, पर वह मूल तथ्यों से भटकती नजर आई। वर्तमान के मूल तथ्यों पर आने के बजाए वह अतीत की जुगाली करती नजर आई। कांग्रेस के सुयोग्य नेता आनंद शर्मा का बौद्धिक भाषण देखा जाए तो 24 मिनट की अपनी प्रस्तुति में वह वास्तविक कम आभासी तस्वीर खींचते नजर आए। अधिवक्ता होने के नाते वे भाषाई व सैद्धांतिक स्तर के फेर में पड़ते नजर आए। यानि उनके पास तथ्यों का अभाव था। कांग्रेस इस विरोध को भले ही राजनीतिक नहीं संवैधानिक व नैतिक बता रही हो पर उसके रूख से साफ नजर आता है कि उसकी नीयत में नैतिकता कम खोट ज्यादा है। उसे राजनीतिक हित साधने के बजाए देशहित पर भी ध्यान चाहिए था। कांग्रेस इस विधेयक को अगर विभाजनकारी बता रही है तो आजादी के बाद हुए विभाजन को क्या कहा जाए जो धर्म के आधार पर किया गया था। कांग्रेस को देश की जनता को अब 72 साल का ब्यौरा देना ही पड़ेगा। उसके समक्ष यह आत्ममंथन का दौर है, उसे सोचना होगा कि आखिर क्यों वह दो अंकों में सिमटती जा रही है? क्या उसे अपने लंबे कार्यकाल में इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर लेना चाहिए था? आखिर इतनी लंबी अवधि में पड़ौसी देशों के अल्पसंख्यकों को कांग्रेस सरकारें सम्मान क्यों नहीं दिला पाईं? पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ना झेल रहे अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी व जैन समुदायों के लोगों को अब तक नागरिकता क्यों नहीं दी गई? ये विचारे लंबे अरसे से वहां प्रताड़ना सहन करते रहे, और पानी जब सिर से उपर चढ़ आया तो वे भारत में शरण लेने के लिए मजबूर हुए हैं। मोदी सरकार इन शरणार्थियों को शरण दे रही है, उन्हें सम्मान दिला रही है। यही नागरिकता विधेयक का मुख्य उद्देश्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने बड़े साहस के साथ इस पुनीत कार्य को पूरा करने की बीड़ा उठाई है। यह समस्या आज की नहीं है, यह तो विभाजन के समय से ही चली आ रही है। विभाजन भी धर्म के आधार पर हुआ था। विभाजन के चलते जो नरसंहार हुआ वह इतिहास का सबसे बड़ा नरसंहार कहलाया। रातों-रात लोग अपनी पैतिृक संपत्ति छोड़ छोर बदलने को मजबूर हुए। विभाजन के समय दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों पंडित जवाहरलाल नेहरू और लियाकत अली के बीच दिल्ली में 1950 में अलपसंख्यकों के सम्मान बनाए रखने का समझौता हुआ था, जो जमीन पर उतरे बिना सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गया। भारत ने खुद को धर्मनिरपेक्ष राष्ट कहलाने की प्रतिबद्धता दिखाई तो पाकिस्तान इस्लामिक देश बन गया। तब से पाकिस्तान भारत के लिए अब तक नासूर बना हुआ है।

Tags:    

Similar News