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CAA : अल्पसंख्यकों को ऑनलाइन मिलेगी नागरिकता, राज्यों की भूमिका खत्म

Update: 2020-01-15 14:28 GMT

नई दिल्ली। मोदी सरकार नागरिकता देने की प्रक्रिया में डीएम की भूमिका को खत्म करके इस काम को पूरी तरह से ऑनलाइन करने पर सलाह कर रही है। यह कदम कुछ राज्यों के नए नागरिकता कानून के प्रति विरोधी रुख को देखते हुए उठाया जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा प्रक्रिया के तहत नागरिकता के लिए आवेदन जिलाधिकारी के माध्यम से दिया जाता है पर अगर आवेदन करने के काम को ऑन लाइन कर दिया जाए तो ऐसे में जिलाधिकारियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और ऐसे मामलों में राज्यों का किसी स्तर पर हस्तक्षेप भी समाप्त हो सकेगा।

इन अधिकारियों का यह भी मानना है कि राज्य सरकारों के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है जिसके तहत वे नागरिकता कानून को लागू करने से इंकार कर दें। इसकी वजह यह है कि यह कानून संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत आता है। इस सूची में शामिल विषयों पर केंद्र सरकार को की कानून बनाने की शक्ति है। इस सूची में 97 विषय हैं जिनमें विदेश संबंध, रेलवे और मुद्रा संबंधी बातें शामिल हैं।

राज्य सरकारें इन पर कानून नहीं बना सकती। उनके कानून बनाने के विषय दूसरे हैं जिनमें भू संपदा, कर संग्रह जैसी बातें शामिल हैं। कुछ विषयों जैसे कृषि पर दोनों यानी केंद्र व राज्य कानून बना सकते हैं। गौरतलब है कि केरल, पश्चिम बंगाल और पंजाब सहित कई अन्य राज्य इस कानून को लागू करने से इंकार कर चुके हैं।

राज्यसभा में नागरिकता कानून का समर्थन करने वाले तमिलनाडु के दल और भाजपा नीत राजग के घटक दल पट्टाली मक्कल काट्ची ने मंगलवार को एनआरसी को खारिज कर दिया। पार्टी ने एक विशेष अधिवेशन में यहां प्रस्ताव पारित करके कहा कि एनआरसी लोगों में बेवजह का डर और तनाव पैदा कर सकता है। एनपीआर को एनआरसी का पायलट प्रोजेक्ट बताते हुए प्रस्ताव में दावा किया है कि तमिलनाडु में एनआरसी को लागू करने की कोई जरुरत नहीं है। ।

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