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ममता बनर्जी के करीबी राजीव कुमार को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है सीबीआई

सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं : कोर्ट

Update: 2019-09-20 06:11 GMT

कोलकाता/वेब डेस्क। सारदा घोटाला मामले में आरोपित कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार को अग्रिम जमानत की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई है। अलीपुर कोर्ट ने गुरुवार देर शाम स्पष्ट कर दिया कि राजीव को जब चाहे गिरफ्तार कर सकती है इसके लिए राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं।

दरअसल कुमार की गिरफ्तारी के लिए सीबीआई जीतोड़ कोशिश कर रही है। गुरुवार को अलीपुर न्यायालय में राजीव कुमार की गिरफ्तारी का वारंट जारी करने की मांग करते हुए जांच एजेंसी के अधिवक्ता ने दाऊद इब्राहिम का जिक्र भी किया। दरअसल मंगलवार को बारासात कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर रोक अथवा गिरफ्तार करने संबंधी आदेश देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यह उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर है। उसके बाद राजीव कुमार ने अपनी अग्रिम जमानत के लिए बुधवार को अलीपुर अदालत में मामला किया था। सीबीआई भी उनकी गिरफ्तारी की मांग लेकर कोर्ट जा पहुंची थी लेकिन बारासात कोर्ट से सारदा के सारे दस्तावेज अलीपुर कोर्ट में नहीं पहुंच सके थे इसलिए बुधवार को मामले में सुनवाई नहीं हो सकी। गुरुवार दोपहर बाद सारे दस्तावेज पहुंचे जिसके बाद सीबीआई के अधिवक्ता कालीचरण मिश्रा ने अलीपुर जज के सामने कुमार के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कुमार से पूछताछ करनी बहुत जरूरी है। हजारों करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाले का मामला है जिसमें षड्यंत्र रचने के आरोपित राजीव कुमार हैं। बार-बार उन्हें समन भेजने के बावजूद वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। कभी कानून व्यवस्था तो कभी अपने पद की आड़ में वह सीबीआई पूछताछ से बच रहे हैं।

गुरुवार को करीब 40 मिनट तक सीबीआई के अधिवक्ता ने अदालत में राजीव की गिरफ्तारी के लिए अपना पक्ष रखा। जांच एजेंसी के अधिवक्ता ने कहा कि राजीव कुमार को बार-बार समन भेजा जा रहा है लेकिन वह आते नहीं हैं, फरार हैं। वह ना तो अपने घर पर है और ना ही दफ्तर में। सारदा मामले में मुख्य षड्यंत्रकारी भी हैं इसलिए उनके खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत गिरफ्तारी का वारंट जारी होना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने प्रश्न किया था कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं लगाई है। सीबीआई बिना वारंट के भी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। ऐसे में जांच एजेंसी गिरफ्तारी का वारंट क्यों जारी कराना चाहती है? इसके जवाब में सीबीआई के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दाऊद इब्राहिम की गिरफ्तारी पर भी सीबीआई या पुलिस के सामने कोई बाधा नहीं थी। फिर भी उच्चतम न्यायालय ने दाऊद की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया था। इस आदेश की कॉपी भी सीबीआई के अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष रखा।

कुमार के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। अगस्त महीने के आखिरी सप्ताह में राजीव कुमार ने सीबीआई को चिट्ठी दी थी। इसमें उन्होंने बताया था कि सितम्बर महीने की नौ तारीख से 25 तारीख तक वह छुट्टी पर रहेंगे। इसके बावजूद योजनाबद्ध तरीके से सीबीआई उन्हें फरार घोषित करने पर तुली हुई है।

राजीव के अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष फौजदारी अधिनियम 45(2) की धारा का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी सशस्त्र वाहिनी के अधिकारी या कर्मी को गिरफ्तार करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है। कुमार राज्य सीआईडी के एडीजी के पद पर तैनात हैं फिर भी सीबीआई ने उनकी गिरफ्तारी के लिए सरकार से कोई अनुमति नहीं ली है। बावजूद इसके उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ वारंट जारी कराना चाहती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सीबीआई जब चाहे कुमार को गिरफ्तार कर सकती है। अगर सीबीआई अधिकारियों के साथ किसी तरह की मारपीट अथवा बाधा दी जाती है तो जांच एजेंसी कोर्ट को बता सकती है। हालांकि न्यायालय में राजीव कुमार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही कुमार को अंतरिम जमानत भी नहीं दी और यह भी स्पष्ट कर दिया कि उन्हें गिरफ्तार करने से पहले राज्य सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। (हि.स.)

 

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