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कर्नाटक उपचुनाव में सीएम येदियुरप्पा का चला जादू, 15 में से 12 सीटों पर जीती भाजपा

Update: 2019-12-09 07:30 GMT

बेंगलुरु/नई दिल्ली। कर्नाटक उपचुनाव में भाजपा ने 12 सीटें जीतकर बाजी अपने नाम कर ली। कांग्रेस दो और निर्दलीय उम्मीदवार ने एक सीट पर जीत का परचम लहराया जबकि जदएस का उपचुनाव में सफाया हो गया। उपचुनाव के परिणाम को देखा जाए तो कर्नाटक की जनता ने अवसरवाद की राजनीति से तौबा करते हुए राज्य की बीएस येदियूरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार को पूरा समर्थन देते हुए उन पर भरोसा जताया है। मुख्यमंत्री येदियूरप्पा बाकी के साढ़े तीन साल सरकार चलाकर विकास के नए प्रतिमान स्थापित करेंगे। इन सभी 15 सीटों पर पांच दिसंबर को उपचुनाव हुआ था। 224 सीटों वाले विधानसभा में भाजपा को अपने बूते सरकार बनाने के लिए कम से कम सात सीटों की जरूरत थी, जिसे उसने दोगुनी अधिक सीटें जीतकर लक्ष्य हासिल किया है।

भाजपा के सत्ता में आने से पहले राज्य में कांग्रेस-जदएस गठबंधन की सरकार थी। लेकिन राजनीतिक जोड़-घटाव के बाद भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही थी। वर्ष 2018 में भाजपा ने 105 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन सत्ता के लिए सात कदम दूर रह गई थी। तब भाजपा को रोकने के लिए 80 सीटों वाली कांग्रेस ने 37 सीटों वाली जदएस के साथ मिलकर अवैध गठबंधन कर सरकार बना ली थी। इस सरकार में जदएस के नेता एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद दिया गया। अपने अंतर्विरोधों के चलते गठबंधन सरकार डेढ़ साल के कार्यकाल के बाद कांग्रेस-जदएस के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और गठबंधन सरकार धरासायी हो गई।

विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने इन 17 विधायकों को अयोग्य करार देते हुए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। 17 में से 15 विधायकों ने उच्चतम न्यायालय का रूख किया जबकि दो हाईकोर्ट की शरण में गए। उच्चतम न्यायालय ने 15 विधायकों की अयोग्यता को बरकरार रखा जबकि चुनाव लड़ने कीरोक को हटा दिया। इस तरह 15 सीटो पर उपचुनाव करवाए गए थे। दो विधायकों का उच्च न्यायालय में मामला लंबित है।


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