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मोदी सरकार के खिलाफ पूर्वाग्रह से प्रेरित है 'अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट' : भाजपा

Update: 2019-06-22 15:26 GMT

नई दिल्ली/वेब डेस्क। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अमेरिका द्वारा जारी '2018 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट' को केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ पूर्वाग्रह से प्रेरित करार दिया है। पार्टी ने अल्पसंख्यकों पर हमलों के पीछे किसी षड़यंत्र के दावे को बेबुनियाद बताया है।

भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने शनिवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि 2018 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट मोदी सरकार तथा भाजपा के प्रति पूरी तरह से पूर्वाग्रह से प्रेरित है। इस रिपोर्ट की मूल अवधारणा कि यहां अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा के पीछे कोई षड्यंत्र है, सरासर झूठ है। इसके विपरीत ऐसे ज्यादातर मामलों में स्थानीय विवादों और अपराधी तत्वों का हाथ होता है। जब कभी जरूरत हुई तो प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अन्य नेताओं ने अल्पसंख्यकों तथा समाज के कमजोर तबके के लोगों के विरुद्ध हुई हिंसा की कड़ी आलोचना की है।

भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं की जड़ें बहुत ही गहरी हैं। वे पूरी तरह से स्वतंत्र हैं और वे ऐसे विवादों का फैसला करने तथा दोषियों को सजा देने में पूरी तरह सक्षम है। दुर्भाग्यवश इन तथ्यों को इस रिपोर्ट में बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत में विश्वास करती है। मोदी सरकार द्वारा की बड़ी-बड़ी योजनाओं से समाज की हर जाति, धर्म और क्षेत्र के लोगों को लाभ हुआ है। सभी गरीबों, वंचितों चाहे वह किसी भी धर्म या लिंग के जीवन स्तर को उठाने और अपनी उपलब्धियों पर भाजपा गर्व करती है। देश की जनता ने मोदी के नेतृत्व वाले भाजपा एनडीए गठबंधन के विकास के एजेंडे पर पूर्ण विश्वास जताया है और हाल ही में उसे बहुमत से जिताया है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने इस रिपोर्ट में कई देशों की धार्मिक स्वतंत्रता के आधार पर चर्चा की है। रिपोर्ट में धार्मिक आजादी को लेकर भारत को घेरते हुए कहा गया है कि भारत सरकार अलपसंख्यकों पर गौरक्षकों के हमलों को रोकने में विफल रही है। इसके अलावा भीड़ की हिंसा, धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर हिंसा के साथ-साथ अनेक शैक्षणिक संस्थानों के अल्पसंख्यक दर्जे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के सरकार के फैसले को भी अनुचित बताया गया है। (हि.स.)

 

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