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भीमा कोरेगांव मामला : नजरबंद लोगों को पुलिस हिरासत में भेजने की मांग

महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि ये लोग अराजकता फैलाने की खतरनाक योजना का हिस्सा हैं

Update: 2018-09-05 10:48 GMT

नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा समेत 5 लोगों को पुलिस हिरासत में भेजने की मांग की है। महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि ये लोग समाज में हिंसा और अराजकता फैलाने की खतरनाक योजना का हिस्सा हैं। उनकी गिरफ्तारी ठोस सबूतों के आधार पर हुई। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा। फिलहाल 5 लोग हाउस अरेस्ट हैं ।

सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र पुलिस ने सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सबूत सौंपा। महाराष्ट्र पुलिस ने आग्रह किया कि उन्हें देख कर कोर्ट फैसला ले। महाराष्ट्र पुलिस ने कहा कि अब तक बरामद लैपटॉप, पेन ड्राइव से मिली सामग्री से साफ है कि ये 5 लोग माओवादी साज़िश का हिस्सा हैं। बड़े पैमाने पर अराजकता फैलाने की कोशिश में जुटे थे।

पिछले 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने कहा था कि विचारों का मतभेद हमारे लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है| अगर इसे खत्म कर दिया जाएगा तो वाल्व फट जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी गिरफ्तार लोगों को राहत देते हुए उन्हें जेल भेजने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि सभी अपने घर में हाउस अरेस्ट रहेंगे। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से 6 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि एफआईआर में गिरफ्तार किये लोगों का नाम तक नहीं हैं। अगर इस तरह लोगों को गिरफ्तार किया गया तो लोकतंत्र ही खत्म हो जाएगा। तब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि इसीलिए हम नोटिस जारी कर रहे हैं। वकील राजीव धवन ने कहा था कि उनमें से कुछ लोगों ने हमारा सहयोग किया है। हमने उनकी फंडिंग की है। अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो उसके बाद कल हमारी भी गिरफ्तारी होगी। वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उसके बाद हमारी भी गिरफ्तारी होगी।

एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि अभियुक्तों में से कुछ पहले जेल में रहे हैं। तब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वे प्रोफेसर हैं। जिन लोगों को गिरफ्तार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपने घर में नजरबंद किया गया है उनमें गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरिया और वरनोन गोंजालवेस शामिल हैं। भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में एफआईआर दर्ज करानेवाले तुषार डामगुडे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने को मुख्य केस में पक्षकार बनाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका पर 6 सितंबर को सुनवाई करेगा।

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