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नागरिकता कानून के बाद रोहिंग्याओ को वापस भेजने सरकार उठाएगी अगला कदम

रोहिंग्या म्यांमार के मुस्लिम शरणार्थी हैं जिन पर वहां सामूहिक हत्या, बलात्कार और आगजनी जैसे अपराधो में लिप्त होने के आरोप हैं। हजारों रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश एवं भारत आ गये।

Update: 2020-01-04 10:45 GMT

नईदिल्ली/वेब डेस्क। नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून बनाने के बाद सरकार का अगला कदम देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को वापस भेजने के संबंध में निर्णय ले सकती हैं। पीएमओ राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।  

रोहिंग्या म्यांमार के मुस्लिम शरणार्थी हैं जिन पर वहां सामूहिक हत्या, बलात्कार और आगजनी जैसे अपराधो में लिप्त होने के आरोप हैं। वहां उन पर हुई कार्यवाई के बाद हजारों रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश एवं भारत आ गये।  

डॉ. सिंह ने यह बात केंद्रीय वित्तीय नियमों 2017 और जम्मू में शुक्रवार को ई-प्रोक्योरमेंट पर जम्मू-कश्मीर सरकार के अधिकारियों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा की, "हमारे यहाँ रोहिंग्या की एक बड़ी आबादी हैं, उनके निर्वासन को लेकर क्या योजना होनी चाहिए इसे लेकर केंद्र सरकार चिंतित है। सभी रोहिंग्या की सूची बनाई जाएगी और यदि आवश्यक हुआ तो उनके बायोमेट्रिक प्रमाण पत्र भी लिए जाएंगे, सीएए रोहिंग्याओं के लिए नहीं है इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। क्योकि उनका संबंध तीन देशों और उसमे सम्मिलित छह में से किसी भी अपल्पसंख्यक समुदाय से नहीं हैं। "पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का जिक्र सीएए के तहत किया गया इसलिए वे किसी भी तरह से नागरिकता हासिल नहीं कर पाएंगे।

मंत्री ने कहा कि यह "विश्लेषकों और शोधकर्ताओं" के लिए शोध का विषय हैं कि रोहिंग्या म्यांमार से जम्मू कैसे पहुंचे ?


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