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सिंधिया समर्थक 21 पूर्व विधायक भाजपा में शामिल, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिलाई सदस्यता

Update: 2020-03-21 12:32 GMT

नई दिल्ली। मप्र में पिछले दिनों हुए राजनीतिक घटनाक्रम में बागी हुई सिंधिया समर्थक 21 पूर्व विधायकों ने आज भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के समक्ष भाजपा की सदस्यता ली । ये सभी पूर्व विधायक आज ही बेंगलुरु से दिल्ली पहुंचे थे।  दिल्ली पहुंचकर इन विधायकों ने पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया से एक होटल में मुलाकात की।   उसके बाद सभी विधायक बस द्वारा भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पहुँचे। जहां उन्होंने सभी विधायकों को बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता दिलवाई।  कमलनाथ सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा कांग्रेस पार्टी एवं सरकार से इस्तीफा देकर 9 मार्च को बेंगलुरु पहुंचे थे। अब बताया जा रहा है की यह सभी विधायक आज शाम चार्टर विमान से भोपाल पहुंचेंगे।  

बीजेपी में शामिल होने वाले कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री -

इमरती देवी - इमरती देवी वर्तमान में कमलनाथ सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री थी। इमरती देवी का जन्म 14 अप्रैल 1975 को जिला दतिया के ग्राम चरबरा में हुआ। उन्होंने हायर सेकण्ड्री तक शिक्षा प्राप्त की है एवं उनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। इमरतीदेवी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1997 से मानी जाती है जब वह जिला युवा कांग्रेस कमेटी ग्वालियर की वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनी, वह इस पद पर साल 2000 तक रही। साल 2002 में वह किसान कांग्रेस कमेटी की प्रदेश महामंत्री बनी। वह 2005 से लगातार ब्लाक कांग्रेस डबरा की अध्यक्ष है।

उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव ग्वालियर की डबरा सीट से साल 2008 में लड़ा और विधायक चुनी गई। इसके बाद वह लगातार साल 2013 एवं 2018 में डबरा सीट से चुनाव जीतकर विधायक निर्वाचित हुई। इमरती देवी ने 25 दिसम्बर, 2018 को मुख्यमंत्री कमल नाथ के मंत्रीमण्डल में मंत्री पद की शपथ ग्रहण की।

प्रद्युमन सिंह तोमर - प्रद्युम्न सिंह तोमर का जन्म 1 जनवरी, 1968 को ग्राम नावी तहसील अम्बाह जिला मुरैना में हुआ। प्रद्युमन तोमर ने स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की है। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत अपने बड़े भाई देवेंद्र सिंह तोमर के साथ साल 1984 में हुई । वह अपने राजनीतिक करियर के दौरान संयोजक जनकल्याण संघर्ष समिति, ग्वालियर, संभागीय संयोजक कोमी एकता कमेटी, सचिव मप्र युवक कांग्रेस, उपाध्यक्ष म.प्र. युवक कांग्रेस, प्रदेश प्रतिनिधि म.प्र. कांग्रेस, उप संयोजक बाजार समिति मेला ग्वालियर, के पद पर रहे।

प्रद्युमन तोमर ने अपना पहला विधानसभा चुनाव साल 2008 में ग्वालियर विधानसभा सीट से लड़ा था। उन्होंने अपने पहले ही चुनाव में भाजपा के कद्द्वार नेता माने जाने वाले जयभान सिंह पवैया को हराकर सभी राजनीतिक विश्लेषकों को चौका दिया था। हालांकि इसके बाद साल 2013 के विधानसभा चुनावों में इसी सीट पर जयभान सिंह पवैया से हार का सामना भी करना पड़ा.। साल 2018 के विधानसभा चुनावों में वह दोबारा जयभान सिंह को पराजित कर विधायक निर्वाचित हुए और उन्होंने कमलनाथ सरकार में केबिनेट मंत्री के पद की शपथ ग्रहण की थी ।

तुलसीराम सिलावट - तुलसी राम सिलावट का जन्म 05 नवम्बर 1954 को ग्राम पिवडाय, जिला इंदौर में हुआ। उन्होंने राजनीति शास्त्र से एम.ए. किया है एवं उनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। सिलावट के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1977 में शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर के छात्र संघ चुनाव जीतकर अध्यक्ष बनने से हुई। इसके बाद सिलावट 1978 एवं 1980 में भी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर आसीन रहे।

वह साल 1982 में निकाय चुनाव जीतकर नगर निगम इंदौर के पार्षद बने। वह पहली बार विधायक साल 1985 के विधानसभा चुनावों में जीतकर बने थे। वह 1998 से 2003 में मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष रहे। साल 2007 के उप विधानसभा चुनाव में जीतकर दोबारा विधायक बने ।इसके बाद साल 2008 एवं 2018 के विधानसभा चुनावों में इंदौर की सांवेर सीट से चुनाव जीतकर चौथी बार विधायक बने। चौथी बार विधानसभा बनने के बाद जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सौपी।

गोविन्द सिंह राजपूत - श्री गोविन्द सिंह राजपूत का जन्म 1 जुलाई, 1961 को सागर में हुआ। 59 वर्षीय राजपूत कमलनाथ सरकार में राजस्व एवं परिवहन मंत्री थे। उनके पिता का नाम स्व. वीर सिंह राजपूत है। खेल एवं साहित्य में रूचि रखने वाले राजपूत पेशे से कृषक है। गोविन्द सिंह के राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस में कार्यकर्ता के रूप में हुई। अपने शुरूआती रजनीतिक सफर में वह मप्र युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बने।

इस जिम्मेदारी के बाद उन्हें साल 2002 में मप्र कांग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त हुए।तीन बार विधायक निर्वाचित हो चुके गोविन्द सिंह राजपूत ने पहला विधानसभा चुनाव साल 2003 में सागर की सुर्खी सीट से लड़ा था। इस चुनाव में जीतकर वह पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद साल 2008 में वह दूसरी बार एवं 2008 एवं तीसरी बार साल 2018 में विधायक बनने के बाद कमलनाथ सरकार में उन्हें राजस्व मंत्रालय सौपा गया था।

महेंद्र सिंह सिसोदिया - महेंद्र सिंह सिसोदिया गुना की बमोरी सीट से लगातार दूसरी बार विधायक निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे थे। वह वर्तमान में कमलनाथ सरकार में श्रम मंत्री थे। महेंद्र सिंह का जन्म 30 अगस्त 1962 को गुना जिले में हुआ था। महेंद्र सिंह के पिता का नाम राजेंद्र सिंह सिसोदिया है। उन्होंने बीएससी सेकंड ईयर तक शिक्षा प्राप्त की है। पेशे से किसान सिसोदिया खेल एवं यात्राओं के शौक़ीन है।

सिसोदिया ने अपने राजनीतिक करियर में कांग्ग्रेस पार्टी में संगठन में विभिन्न पदों को संभाला है।संजू भैया के नाम से लोकप्रिय सिसोदिया ने अपने राजनीतिक करियर का पहला विधानसभा चुनाव साल 2013 में गुना की सुर्खी विधानसभा सीट से लड़ा था। वह अपने निकटतम भाजपा उम्मीदवार को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। सिसोदिया दूसरी बार साल 2018 में इसी सीट से भाजपा के कन्हैयालाल अग्रवाल को हराकर दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए थे।

प्रभु राम चौधरी - प्राभृ राम चोधरी रायसेन की साँची सीट से अब तक छह विधानसभा चुनाव लड़ चुके है। 15 जुलाई, 1958 को रायसेन जिले के माला गाँव में जन्मे चौधरी ने पेशे से कृषि एवं व्यापारी है। उन्होंने भोपाल के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की शिक्षा प्राप्त की है। डॉ चौधरी का राजनीतिक साल 1985 से शरू हुआ जब उन्हें माधवराव सिंधिया ने विधानसभा का टिकट दिलाय और वह उनकी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए पहली बार विधानसभा पहुंचे। 1989 में उन्हें संसदीय सचिव भी नियुक्त किया गया।

 डॉ चौधरी साल 1994 में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति प्रभाग के संयोजक बने। साक 1994 में वह में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी बने। साल 2004 में वह केंद्रीय सहकारी समिति के सदस्य रहें। साल 2008 में वह भाजपा के गौरी शंकर शेजवार को हराकर दूसरी बार विधायक बने थे। साल 2013 में उन्हें शेजवार से इसी विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा। लेकिन सिंधिया लहर के चलते उन्होंने 2018 में इसी सीट से गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार को चुनाव हराकर तीसरी बार विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ी थी। जिसके बाद कमलनाथ ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल करते हुए उन्हें स्कूली शिक्षा मंत्री नियुक्त किया था।

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