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भारत आ रहे रूसी राष्ट्रपति पुतिन, होगा ऐतिहासिक रक्षा सौदा

Update: 2018-10-03 15:24 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन गुरुवार को भारत आ रहे हैं। ये रूसी राष्ट्रपति की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा होगी। पुतिन की इस यात्रा के दौरान भारत-रूस के बीच ऐतिहासिक रक्षा सौदा होने की बात की जा रही है। रूस इस बार भारत को दुनिया की प्रख्यात मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 दे सकता है। इस सौदे पर पुतिन की इस भारत यात्रा पर मोहर लग सकती है। वैसे रूसी राष्ट्रपति पुतिन 19वीं भारत-रूस द्विपक्षीय सम्मिट में हिस्सा लेने भारत आ रहे हैं।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे में वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अहम बैठक में हिस्सा लेंगे। दोनों नेताओं के बीच भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों को लेकर विस्तार से बात होगी, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर आपसी सहयोग और गहन विचार-विमर्श होगा। इसके अलावा दोनों देश प्रादेशिक मुद्दों पर भी बात करेंगे। इसी के साथ भारत-रूस के बीच रणनीतिक रक्षा दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होंगे। राष्ट्रपति पुतिन रूस-भारत बिजनेस फोरम में हिस्सा लेंगे। राष्ट्रपति पुतिन रूसी अध्ययन केंद्र में विद्यार्थियों से भी मुलाकात करेंगे।

बताया जा रहा है कि रूसी मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 दुनिया में अपने एयर डिफेंस के लिए जानी जाती है, जिसे भारत सरकार रूस से खरीदना चाहती है। यह सतह से हवा में मार करने वाली अचूक मिसाइल प्रणाली है। इसके लिए भारत को 5 अरब डॉलर यानी लगभग 37 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। बताया जा रहा है कि इस मिसाइल रक्षा प्रणाली के मिलने के बाद भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन की ओर से किसी भी हवाई हमले से खुद को सुरक्षित कर सकेगा। इस मिसाइल रक्षा प्रणाली में किसी भी लड़ाकू जहाज, क्रूज मिसाइल या ड्रोन हमले से निपटने की क्षमता है। इसके द्वारा भारतीय सेना 600 किलोमीटर तक की मारक क्षमता विकसित कर लेगा।

रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने से अमेरिका भारत से नाराज हो सकता है। अमेरिकी सरकार पहले ही चेता चुकी है कि वो भारत के रूस के साथ इस सौदे को पसंद नहीं करती है। इतना ही नहीं अमेरिकी सरकार ने ये संकेत दे दिए थे कि यदि भारत सरकार रूस से ये मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदती है तो अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकता है। इसके बावजूद भारत रूसी राष्ट्रपति पुतिन की इस आधिकारिक यात्रा के दौरान इस सौदे पर हस्ताक्षर कर सकता है।

भारत-रूस के बीच इस अहम सौदे पर सहमति को देखते हुए रक्षामंत्री भी अपनी कजाकिस्तान के आधिकारिक यात्रा को बीच में छोड़कर भारत लौट रहीं हैं। इसे देखकर लगता है कि भारत-रूस के बीच ये ऐतिहासिक सामरिक रक्षा सौदा होना लगभग तय हो चुका है।  

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