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करतारपुर साहिब के जरिये अपनी छवि चमकाना चाहता है पाक

Update: 2019-11-09 07:44 GMT

इस्लामाबाद। वैश्विक स्तर पर खराब छवि के संकट से जूझ रहे पाक के लिए करतापुर गलियारा खुद को एक उदार राष्ट्र के तौर पर पेश करने का बड़ा मौका है। इतना ही नहीं घरेलू मोर्चे पर उसकी माली हालत भी बदहाल है और उसे इस गलियारे से आने वाले तीर्थयात्रियों से सालभर में अच्छी आय की उम्मीद है। जानकारों का ऐसा मानना है।

सत्ता में आने से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अक्सर पूर्ववर्ती सरकारों को देश में मौजूद पर्यटन की अपार संभावनाओं का लाभ उठाने में असमर्थ रहने पर कोसते रहे हैं। इन पर्यटन स्थलों में कई धार्मिक स्थल भी हैं जो दुनियाभर से पर्यटकों को देश में ला सकते हैं।

जानकार सूत्रों के अनुसार पिछले साल सत्ता संभालने के बाद उनकी सरकार ने सबसे पहले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करने के कदम उठाए। अप्रैल में सरकार के एक पर्यटन सम्मेलन में खान ने कहा था कि खुदा ने देश को अलग-अलग तरह की भौगोलिक सुंदरता से नवाजा है।

खान ने कहा, ''हमें देश की सुंदरता के बारे में पर्यटकों के बीच जागरुकता लाने की जरूरत है।" उन्होंने सिख, बौद्ध और हिंदू संप्रदाय से जुड़े तीर्थस्थलों की पर्यटन संभावनाओं पर विशेष जोर दिया। पिछले साल नवंबर में उन्होंने करतारपुर गलियारे पर काम शुरू करने का भूमि पूजन किया था। इस पर निर्माण कार्य तय समय में पूरा किया जा चुका है।

सिख धर्म के संस्थापक बाबा गुरुनानक के 12 नवंबर को 550वें प्रकाश पर्व से पहले खान के शनिवार को इसका उद्घाटन करने की संभावना है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि इस गलियारे के उद्घाटन मौके पर करीब 10,000 सिखों के शामिल होने की उम्मीद है। इसके बाद प्रतिदिन भारत से 5,000 और इतने ही पाकिस्तानी सिखों को करतारपुर का दौरा करने की अनुमति होगी।

पिछले दो दशकों के दौरान आतंकवाद और हिंसा के चलते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। इससे एक कारोबार हितैषी देश के तौर पर उसकी छवि को बड़ा आघात पहुंचा। सरकार का अनुमान है कि 2018 के अंत तक इससे देश को 126 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान पहुंचा। ऐसे में प्रधानमंत्री इमरान को अर्थव्यवस्था को फिर खड़ा करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है।

यह गलियारा पाकिस्तान-भारत अंतरराष्ट्रीय सीमा से मात्र चार किलोमीटर दूर करतारपुर साहिब को भारत के डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ देगा। करतापुर साहिब में गुरुनानक ने अपने जीवन का अंतिम समय गुजारा था। इसलिए सिख संप्रदाय में इस स्थान को काफी पावन माना जाता है।

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