वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने खुलासा किया था कि एक मुलाकात के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप के लिए कहा था। इसके बाद विपक्षी दलों ने संसद में मोदी सरकार को घेरने का खूब प्रयास किया था और उनसे जवाब मांगा था। तब भारत ने अपना रुख साफ करते हुए कहा था कि कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष से बातचीत का सवाल ही पैदा नहीं होता।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर बोले कि इस पर अगर कभी आवश्यकता हुई तो बस पाकिस्तान से बात होगी, किसी तीसरे पक्ष से नहीं। इस बीच, अमेरिका में भारतीय राजदूत हर्षवर्धन सिंगला के हवाले से खबर आई है कि कश्मीर मसले पर अमेरिका अपनी पुरानी नीति पर चलना चाहता है। अमेरिका चाहता है कि भारत और पाकिस्तान एक साथ मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करें।
हर्षवर्धन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर भारत और पाकिस्तान चाहते हैं कि वे मध्यस्थता करें तो वे मध्यस्थता कर सकते हैं, लेकिन भारत का रुख साफ है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है, जिस पर फैसला केवल दोनों देश कर सकते हैं। भारत का कश्मीर पर हमेशा से रुख स्पष्ट रहा है कि यह एक आंतरिक मुद्दा है, जिस पर किसी तीसरे देश का दखल स्वीकार नहीं किया जाएगा। अमेरिका ने मध्यस्थता करने से साफ इंकार कर दिया है। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। उसके प्रधानमंत्री इमरान खान कई देशों से मदद मांग चुके हैं, लेकिन कोई उनके साथ नहीं आया। वहां के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भी चीन दौरे पर निराशा हाथ लगी। इस बीच, जम्मू-कश्मीर में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं।