सही दृष्टिकोण हेतु मार्ग प्रशस्त करती है गीता

Update: 2019-02-05 15:40 GMT

- निज प्रतिनिधि -

गुना। अर्जुन ने जब दोनों सेनाओं के मध्य में आकर जाना कि उन्हें जिनसे युद्ध करना है वे अपने ही है तब वह भ्रमित हो युद्ध में विपरीत लक्षणों को देखने लगते है। परिणामस्वरूप विषाद के लक्षण जैसे मुख सूखना, कांपना, हाथ से धनुष छूटना आदि अनुभव करने लगते है। वहीं दुर्योधन अपनी स्वार्थी सोच के चलते अधर्म का मार्ग अपनाने से नहीं चूकता। आज भी सही दृष्टि नहीं होने के कारण अर्जुन जैसे लोग छले जा रहे हैं। परन्तु वही अर्जुन श्री कृष्ण के परामर्श से भ्रम मुक्त होकर अपनी कमजोरी पर विजय प्राप्त कर ही लेते हैं। उक्त आशय के विचार श्रीमद्भगवद्गीता के अर्जुन विषाद योग नामक अध्याय के निर्धारित श्लोकों का स्वाध्याय सार व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने प्रकट किये। वे विगत रविवार को गीता अनुरागी गुरुकुल श्रंखला के अंतर्गत सिंगवासा स्थित एमजीएम हाइट्स स्कूल में आयोजित गीता स्वाध्याय में बोल रहे थे। इस अवसर पर गीतास्वाध्याय मण्डल प्रधान देवेन्द्र भार्गव ने दायित्ववान कार्यकर्त्ताओं के साथ निष्काम सेवा और समर्पण की शपथ ली। स्वाध्याय से पूर्व दायित्ववान कार्यकर्त्ताओं की उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। श्रीमती कमला शर्मा ने प्रेरक भजन प्रस्तुत किया। प्रायोजक यजमान श्रीमती वंदना नैथानी और सोनम रघुवंशी ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। आगामी रविवार को गीताभारती-सरस्वती वसंतोत्सव और गीता स्वाध्याय दोनों आयोजन प्रात: नौ बजे से गुलाबगंज कैण्ट के आकांक्षा विद्यालय में होंगे। इस हेतु विद्यालय परिवार की ओर से जयशर्मा और रामेश्वर जी ने श्रीगीता जी की गरिमामय आगवानी की। यह जानकारी उमाशंकर भार्गव ने प्रदान की।

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