जिन किसानों ने नहीं लिया कर्ज उन्हे भी बना दिया कर्जदार, जो वाकई कर्जदार उनका नाम सूची से गायब
विसंगतियों ने उड़ाई अन्नदाता की नींद, बैंक, प्रशासन और सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे किसान
-निज प्रतिनिधि-
गुना। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विधानसभा चुनाव के वचन पत्र में शामिल किसान कर्ज माफी के वचन को निभाने के लिए भलें ही कांग्रेस सरकार गंभीरता दिखाने में लगी हुई हो, किन्तु जो जमीनी हालात सामने आ रहे है, उसे देखकर लग रहा है कि कांग्रेस के लिए राह उतनी आसान नहीं रह गई है, जितनी वह शुरुआती दौर में मानकर चल रही थी, बल्कि कर्ज माफी की राह दिनों दिन मुश्किल और मुश्किल होती जा रही है। इसका कारण है योजना के क्रियान्वयन के दौरान सामने आ रहीं विसंगतियां। विसंगतियों का जहां अब तक अंबार लग चुका है, वहीं जैसे-जैसे प्रक्रिया आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे नई विसंगति सामने आ रहीं है। कुछेक विसंगति तो ऐसी है, जिन्हे देख, सुनकर हरे कोई जहां हैरत में है, वहीं प्रक्रिया क्रियान्वयन में जुटे अधिकारी अपना माथा पीट रहे है। मसलन जिन किसानों ने कर्ज लिया ही नहीं, उन्हे कर्जदार दर्शाया जा रहा है और जो वाकई कर्जदार है, उनका नाम सूची से ही गायब है। सैकड़ों किसान लापता है तो सैकड़ों मृत, कईयों के नाम कई बार है तो कईयों के एक बार भी नहीं। इन सब विसंगति धारकों के लिए प्रक्रिया में गुलाबी आवेदन निर्धारित किया गया है। जिन्हे भरने वालों की संख्या उल्लेखनीय रुप से 8 हजार से अधिक सामने आई है। जिनकी जांच एक समिति कर रही है।
♦ अन्नदाता की उड़ी हुई है नींद
सहकारी समितियों द्वारा जारी की गई कर्ज माफी की सूची को लेकर सिर्फ योजना के क्रियान्वयन में लगे अधिकारी ही पस्त नहीं पड़ रहे है, बल्कि कांग्रेस सरकार के गठन के बाद कर्ज माफी की आस में हर दिन होली और हर रात दीवाली मना रहे अन्नदाता किसान की नींद भी इन दिनों उड़ी हुई है। कर्ज होने के बाद भी अपना नाम सूची में नहीं होने और कर्ज चुकाने के बावजूद नाम कर्जदार किसानों की सूची में होने, कर्ज की वास्तविक राशि से अधिक या कम राशि सूची में दर्शाए जाने को लेकर किसान परेशान है। वह कहीं बैकों के चक्कर काट रहे है तो कहीं प्रशासन के दरवाजे ठोंक दे रहे है। इसके साथ ही सहकारी समितियों एवं जनप्रतिनिधियों के दरवाजे पर भी किसान दस्तक देने में लगे हुए है, किन्तु उनकी समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है। दूसरी और प्रशासन लगातार यह दावा कर रहा है कि जांच में जो दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। तीन कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई हो भी चुकी है।
♦ मृत किसानों के नाम भी निकाल दिए कर्ज
सूची में मृत किसानों के नाम पर भी कर्ज निकाल दिया गया है। जिले में ऐसे हजारों किसान सामने आ रहे है, जो अब इस दुनिया में नहीं है, किन्तु उनके नाम कर्जदारों की सूची में शामिल है। इतना ही नहीं, उनके घर वसूली के नोटिस तक आते रहे है। साथ ही हजारों किसान खोजने पर भी नहीं मिल रहे है। अधिकारी उनके घर पहुँच रहे है, किन्तु किसान नहीं मिल रहे है। इसलिए इन किसानों के फार्म भरे नहीं हो पा रहे है।
♦ गुलाबी आवेदनों पर फिलहाल कम ध्यान
उल्लेखनीय है कि योजना के तहत तीन रंग के फार्म निर्धारित किए गए है। हरे रंग के फार्म उन किसानों के है, जिनका बैंक खाता आधार से लिंक है और सफेद रंग के फार्म वह किसान भर रहे है, जिनका बैंक खाता आधार से लिंक नहीं है, जबकि विसंगति दर्शाने वाले किसानों को गुलाबी रंग का फार्म भरना है। इस रंग के भरे गए फार्म की जांच के लिए भलें ही प्रशासन ने समिति गठित कर दी हो, किन्तु फिलहाल इस पर ध्यान कम ही दिया जा रहा है। पूरा जोर फिलहाल की स्थिति में सूची में शामिल किसानों के फार्म भरवाने और उन्हे कर्ज माफी की प्रक्रिया में लाने पर दिया जा रहा है। प्रशासन का इसको लेकर कहना है कि अगर गुलाबी आवेदन के पचड़े में पड़ा गया तो प्रक्रिया आगे ही नहीं बढ़ पाएगी और वह इसी में उलझकर रह जाएगी। सबसे ज्यादा डर सिर पर आचार संहिता की लटकी तलवार का है। जो मार्च में कभी भी लग सकती है।
♦ छह हजार से अधिक किसान हुए कम
कर्ज माफी की प्रक्रिया के शुरुआती दौर में योजना के दायरे में 89 हजार 890 किसान आने बताए जा रहे थे। जिनका 1500 करोड़ का कर्ज माफ होना था, किन्तु अब बताया जा रहा है कि योजना के तहत पात्र किसानों की संख्या 83 हजार 217 है। यानि करीब छह हजार किसान प्रक्रिया से बाहर हो गए है। यह कैसे हुआ? इसको लेकर बताया जा रहा है कि सूची इंटरनेट से डाउनलोड होने के बाद वास्तविक स्थिति सामने आई है, वहीं अब यह सामने नहीं आ पा रहा है कि जो पात्र किसान है, उनका कर्ज माफ कितना होना है?
♦ फार्म भरने के लिए सिर्फ दो दिन शेष
योजना के तहत पात्र किसानों के फार्म भरने की प्रक्रिया इन दिनों चल रही है। फार्म 5 फरवरी तक भरे जाना है। इस लिहाज से इसमें सिर्फ दो दिन शेष रह गए है और अभी तक महज 58 हजार 440 किसानों के भरे गए है। अभी भी करीब 25 हजार किसानों के फार्म और भरे जाना है। एक जानकारी मुताबिक करीब 1 हजार कर्मचारियों को इस काम में झोंका गया है। यह कर्मचारी ग्राम पंचायतों में सक्रिय रहकर किसानों को फार्म भरवाने में लगे हुए है। प्रशासन का कहना है कि अभी दो दिन शेष है और इस अवधि में वह सभी पात्र किसानों के फार्म भरवा लेंगे। इसके बाद 25 फरवरी से किसानों को मैसेज आना शुरु हो जाएंगे।