-निज प्रतिनिधि-
गुना। गांधी एक व्यक्ति नहीं, एक दर्शन, एक विचार और एक प्रणाली है। व्यक्ति मर जाते हैं या मार दिए जाते हैं, किंतु विचार कभी नहीं मरता। वह अमर रहता है। इसलिए गांधी आज भी अमर है। सत्य अहिंसा, स्वराज्य, असपृश्यता, मद्यनिषेध, ग्राम स्वराज और साध्य के साथ-साथ साधन की पवित्रता एक विचार प्रणाली है और इनकी प्रासंगिकता और स्वीकृति कालजयी होती है। यह विचार शासकीय विधि महाविद्यालय में कौमी एकता, शहीदी दिवस, सर्वोदय दिवस और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर एक कार्यशाला में अध्यक्ष प्राध्यापक आरके वर्मा ने व्यक्त किए।
मन, कर्म, वचन में रखें सामानता
कार्यशाला का मुख्य विषय गांधी जी की पुस्तक मेरी आत्मकथा सत्य के साथ मेरे प्रयोग थी। कार्यक्रम का संचालन एलएलबी चतुर्थ सेमेस्टर के वेदप्रकाश चौधरी ने किया और विषय की प्रतिपादना विधि शिक्षक भगतसिंह चौधरी ने की। कार्यशाला में वक्ताओं का मुख्य जोर इस बात पर था कि गांधीजी के समान, प्रत्येक व्यक्ति को मन, वचन और कर्मों में समानता रखना चाहिए और जो अपेक्षा सामने वाले से की जाती है, उसमें व्यक्ति को पहले स्वयं खरा उतरना चाहिए। यह मत संकाय शिक्षक नीलेश कुमार जैन, गुलफ्शा खातून, काजल सोनी और बलराम तोमर ने व्यक्त किए।
विचार आज भी प्रासंगिक
कार्यशाला में गांधीजी के विचारों को आज भी प्रासंगिक माना गया। गांधीजी ने देश विभाजन का विरोध किया था और वे धर्म के आधार पर राष्ट्र बनाने के पक्षधर नहीं थे। धर्म के आधार पर राष्ट्र बनाने का विचार, केवल मोहम्मद अली जिन्ना का नहीं था और यह विचार आजादी एवं देश विभाजन के समय ही नहीं था, अपितु यह आज भी बहुत बड़े वर्ग के मन में जीवित है और देश की एकता के लिए शुभ नहीं है।