SwadeshSwadesh

जायरा वसीम, केवल अपने फैसले लीजिए दूसरों के नहीं

Update: 2019-07-04 07:55 GMT

दंगल और सीक्रेट सुपरस्टार फेम कश्मीरी नवोदित अभिनेत्री जायरा वसीम ने भारतीय सिनेमा को अलविदा कहते हुए सोशल मीडिया पर अजब पोस्ट डाली है। जायरा ने लिखा है कि सिनेमा को करियर बनाने के बाद से वे खुश नहीं हैं क्योंकि यह काम उनके धर्म और ईमान के रास्ते में आ रहा था। जायरा ने अपने अकाउंट के हैक संबंधी खबरों को नकारते हुए दुबारा लिखा है कि फिल्म जगत छोड़ने का उनका फैसला अटल है।

दंगल गर्ल ने फिल्म जगत को धर्म के विपरीत बताते हुए जिस तरह से सार्वजनिक रुप से सिनेमा को छोड़ा है उससे लगातार देश में बहस का एक वातावरण बन रहा है। बंग्लादेशी मूल की ख्यातिप्राप्त मुस्लिम लेखिका तस्लीमा नसरीन ने इस बेबकूफाना कदम बताया है। फिल्म जगत के अदाकार इस पर मिली जुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं। वरिष्ठ सिने कलाकार रजा मुराद ने इसे जायरा का निजी फैसला बताते हुए उसके सम्मान की हिदायत दी है तो निर्माता निर्देशक अशोक पंडित इस सिनेमा को आरोपों के घेरे में खड़ा करने वाला कदम बता रहे हैं। इन चर्चाओं व बयानबाजी में राजनेता भी पीछे नहीं हैं। कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांन्फं्रेस नेता उमर अब्दुल्ला लोगोें को लगभग इकतरफा गरियाते हुए धर्म के नाम पर जायरा के इस कदम का जमकर प्रोत्साहन कर रहे हैं। जायरा के पत्र पर निमकी मुखिया जैसे कई सीरियल लिख चुके लेखक जमा हबीब ने जमकर क्लास ली है। उन्होंने सख्त लहजे में लिखा है कि जायरा तुस्सी जा रही हो तुस्सी चली ही जाओ। उन्होंने जायरा के फैसले और उसे सार्वजनिक किए जाने के तरीके पर जमकर क्लॉस ली है। लेखक जुमा को इस बात पर बड़ा ऐतराज है कि जायरा धर्म के नाम पर सिनेमा को बदनाम करते हुए छोड़कर जा रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या हम जैसे हजारों सिने व सीरियल वाले ईश्वर और ईमान के रास्ते पर नहीं हैं। क्या फिल्मों और टीवी की दुनिया में रोजी रोटी कमाने वाले कलाकार भगवान के रास्ते के खिलाफ काम कर रहे हैं। जायरा वसीम के इस पत्र के बाद सवाल उठना जायज है कि क्या सिनेमा और टीवी का रास्ता ईमान, अच्छाई और ईश्वर की पसंद का रास्ता नहीं है।

बेशक जायरा वसीम मुल्ले मौलवियों और मस्जिदों के धर्मगुरुओं के दोहराने वाले शब्द अपने खाते से कहें मगर क्या ईमान का रास्ता है और क्या नहीं इसकी सार्वजनिक उद्घोषणा वे किसके लिए कर रही हैं। बेशक धर्म आपका निजी विषय है। फिल्में छोड़ने का हक आपका निजी हक है मगर आप फिल्मों को छोड़ने को ईश्वर का रास्ता बताकर बाकी सिने दुनिया को क्या संदेश देना चाहती हैं। क्यों अपने मन की बातों को दूसरों के मन पर छापना चाहती हैं। क्या किसी जगह को छोड़कर दूसरी जगह जाने के लिए जरुरी है कि पहली जगह को सबसे बुरा साबित किया जाए। आप जब तक काम रहीं थीं सिने दुनिया तब पाक साफ थी आपकी राह तय करने वालों ने उसे गलत बता दिया तो वह दुनिया सबके लिए गलत हो गई। क्या ईश्वर का रास्ता बताने के लिए जरुरी है कि दूसरों को यह अहसास दिलाया जाए कि मैं ही अकेली ईश्वर का रास्ता समझ पायी हूं बाकी आप सब बेकार में उलझे हो।

कश्मीर की रहने वाली जायरा वसीम को क्या इससे पहले कुरान पढ़ने की इजाजत नहीं थी। क्या कुरान ने उनको जो हालिया अंर्तज्ञान दिया है वो जरुरी है कि हर सिने कलाकार उसे वैसा का वैसा अपना ले। देश में अगर जायरा वसीम की धार्मिक स्वतंत्रता है तो उस स्वतंत्रता के साथ उनके कुछ दायित्व भी बंधे हुए हैं। आपको ईश्वरीय रास्ते पर चलने का हुकुम हुआ है तो गाजे बाजे के साथ ईश्वर से दूर ले जाने वाले कदम का सोशल मीडिया पर हाईप्रोफाइल प्रचार प्रसार क्यों कर रही हैं। जब सिनेमा और सीरियल ईमान का रास्ता नहीं है तो बिना ईमान वाले सोशल मीडिया पर आप क्यों जमी हुई हैं। क्यों आपको कुरान का बताया रास्ता सोशल मीडिया पर बाकियों को संकेतक बता रहा है। अल्लाह और ईमान का रास्ता भले ही आपको सिनेमा के पार दिखाया गया हो मगर करोड़ों फेसबुक यूजर पर अपनी यह दृष्टि क्यों थोप रहीं है। जहां जो रास्ता आपको बेहतर लगे जाइए मगर दूसरों के रास्तों को कम से कम खराब तो मत बताइए। आप जब सिनेमा में काम कर रहीं थी तो कब दूसरे लोगों ने उसे खराब बताकर आपको सिनेमा से दूर करना चाहा था। दूसरों ने अपने मन की लिखावट तब आप पर नहीं थोपी थी तो अब आप सोशल मीडिया के जरिए अपने अंर्तज्ञान का ढिंढोरा क्यों पीट रही हैं। जहां जाना है जिसे छोड़ना है छोड़ दीजिए मगर शांति से। हल्ला गुल्ला, इस्तेहार जैसे प्रोपोगैंडा तरीके ईश्वर के रास्ते पर चलने लायक नहीं हैं कम से कम पहले उन्हें छोड़िए। आप युवा हैं केवल अपने फैसले लीजिए दूसरों के नहीं। 

Similar News