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Happy Birthday Sunny Deol : ढाई किलो का हाथ पड़ता है तब आदमी उठता नहीं उठ जाता है

Update: 2019-10-19 11:12 GMT

मुंबई। 'चड्‌ढा,समझाओ.. इसे समझाओ। ऐसे खिलौने बाजार में बहुत बिकते हैं, मगर इसे खेलने के लिए जो जिगर चाहिए न, वो दुनिया के किसी बाजार में नहीं बिकता, मर्द उसे लेकर पैदा होता है। और जब ये ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ता है न तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है.' ....और यही होता रहा है मीलॉर्ड तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मिलती रही है मीलॉर्ड लेकिन इंसान नहीं मिला मीलॉर्ड, इंसाफ नहीं मिला. मिली है तो सिर्फ ये तारीख. कानून के दलालों ने तारीख को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है मीलॉर्ड. दो तारीखों के बीच अदालत के बाहर ये कानून का धंधा करते हैं, धंधा. जहां गवाह तोड़े जाते हैं, खरीदे जाते हैं, मारे जाते हैं. और रह जाती है सिर्फ तारीख, लोग इंसाफ के लिए अपनी tमीन जायदाद बेचकर केस लड़ते हैं और ले जाते हैं तो सिर्फ तारीख.'

ये संवाद हैं 1999 में आई फिल्म 'दामिनी' का जिसे पर्दे पर जीवंत अंदाज में बोला था सन्नी देओल ने। 19 अक्टूबर 1956 को जन्में सन्नी देओल हिंदी सिनेमा के 'ही मैन' धर्मेंद्र के पुत्र हैं। इनकी फिल्मी यात्रा का आगाज 1982 में रोमांटिक फिल्म 'बेताब' से हुई थी। इस फिल्म में उनकी हीरोइन नवोदित अमृता सिंह थी।

सन्नी देओल ने शुरुआत तो रोमांटिक फिल्मों से की थी, लेकिन उनकी प्रसिद्धि व्यवस्था विरोधी दमदार संवादों को लेकर हुई।

80 और 90 के दशक में 'डकैत' 'सल्तनत' 'पाप की दुनिया' 'त्रिदेव' 'चालबाज' 'घायल' 'लुटेरे' 'डर' 'जीत' 'घातक' 'बॉर्डर' और 'जीत' जैसी सफल फिल्मों में काम किया। उन्हें राजकुमार संतोषी की फिल्म 'घायल' के लिए 1990 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। वहीं 'दामिनी' के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। 'यमला पागल दीवाना' में वे अपने पिता धर्मेंद्र और भाई बॉबी देओल के साथ काम किया। इसी साल उनके बेटी की फिल्म 'पल पल दिल के पास' रिलीज हुई है। वे 2019 के लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर से सांसद चुने गए। उनके पिता धर्मेंद्र भी संसद सदस्य रह चुके हैं।

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