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डालर के मुकाबले रुपया गिरकर 72 पर पहुंचने की संभावना, सरकार चिंतित, विपक्ष बनायेगा चुनावी मुद्दा

कच्चे तेल का दाम बढ़ने से भारत को डालर में पेमेंट करने के लिए और अधिक रुपये देने पड़ रहे हैं।

Update: 2018-06-29 14:30 GMT

नई दिल्ली। डालर के मुकाबले रुपया लगातार गिरता जा रहा है। 28 जून 2018 को यह गिरकर, 01 डालर = 69.9 रुपया पर पहुंच गया था। इसे गिरकर 72 तक पहुंचने की संभावना है। पांच साल पहले यह 68.82 था । उसके बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है। पांच वर्ष पहले यूपीए की मनमोहन सिंह की सरकार थी। उनके समय डालर के मुकाबले रुपया की इतनी अधिक गिरावट को भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना लिया था। अब उस समय से भी ज्यादा रुपया के मूल्य में गिरावट को, कांग्रेस व विपक्षी दल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरुद्ध चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी करने लगे हैं। फिलहाल हालत यह है कि इसके लगातार गिरते जाने से भारत के करेंट डेफ्सीट एकाउंट पर भारी दबाव हो गया है। इसकी भरपाई व दबाव से उबरने के लिए भारत सरकार को एनआरआई बांड जारी करना पड़ेगा । वरना भारत की अर्थव्यवस्था भारी कर्जे की गिरफ्त में आ जायेगी। विश्व के बड़े बैंकों के अनुसार इसके दो प्रमुख कारण हैं। बैंक आफ अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक कच्चे तेल के दाम और बढ़ने, अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के कारण डालर के मुकाबले रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट हो रही है ।

कच्चे तेल का दाम अभी और बढ़ने की संभावना है। कच्चे तेल का दाम बढ़ने से भारत को डालर में पेमेंट करने के लिए और अधिक रुपये देने पड़ रहे हैं। अमेरिका में निवेश पर ब्याज दर 3 प्रतिशत के लगभग हो जाने से विदेशी निवेशक भारत में 7 प्रतिशत ब्याज पर पैसा लगाने के बजाय अमेरिका में 3 प्रतिशत ब्याज दर पर पैसा जमा करना बेहतर समझते है, वहां निवेश करना शुरू भी कर दिया है। इसके कारण विदेशी संस्थागत निवेशक वर्ष 2018 में अब तक भारतीय बाजार से 46,197 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं और यह क्रम जारी है। निवेश अब आना कम हो गया है, जो है वह निकाला जा रहा है।

वैसे तो भारत के पास किसी भी आपातकालीक आर्थिक दुश्वारी से पार पाने के लिए फिलहाल लगभग 410 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भंडार है। लेकिन डालर के मुकाबले रुपये के लगातार गिरते जाने से इसपर भी असर पड़ना ही है।

बर्कले द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2018 के अंत तक डालर के मुकाबले रुपया गिरकर 72 के लगभग हो जायेगा। बैंक आफ अमेरिका का अनुमान है कि कच्चे तेल का दाम बढ़ने, अमेरिब्याज दर बढ़ने से रुपया जो वर्ष 2018 के शुरू से अब तक 8 प्रतिशत के लगभग गिर चुका है, सबसे खराब परफार्मर, सबसे घाटे वाला बन गया है। जबकि चीन का यूयान इस दौरान मात्र 1.4 प्रतिशत ही गिरा है। भारत ने डालर के मुकाबले रुपये में इस तरह की गिरावट से पार पाने के लिए सन 2000 और 1998 में एनआरआई बांड जारी किया था। 2013 में रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने अपना रिजर्व बढ़ाने के लिए एक सब्सिडी योजना के तहत विदेशी करेंसी डिपाजिट बढ़ाया था। इस बारे में बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत रुपये में लगातार गिरावट को रोकने के लिए एनआरआई बांड के मार्फत 30 से 35 बिलियन डालर जुटा सकता है।

सूत्रों के अनुसार डालर के मुकाबले रुपये के लगातार गिरते जाने से मोदी सरकार चिंतित हो गई है। इस गिरावट को रोकने के लिए एनआरआई बांड जारी करने पर मंथन करने लगी है। क्योंकि एक वर्ष में रुपये में लगभग 8 प्रतिशत गिरावट को राजस्थान , म.प्र. , छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनावों व मार्च-अप्रैल 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। वे मोदी को उन्हीं की भाषा में इसका जवाब देंगे । भाजपा व नरेन्द्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह डालर के मुकाबले रुपये की गिरावट को यूपीए सरकार के विरुद्ध चुनावी मुद्दा बनाया था, उसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी इसे मोदी सरकार के विरुद्ध चुनावी मुद्दा बनायेंगे।


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