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आरबीआई ने रेपो रेट किया इजाफा

महंगाई को बताया रेट बढ़ाने का कारण

Update: 2018-08-01 09:45 GMT

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने रेपो रेट को 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया है। रिवर्स रेपो रेट को भी 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.25% किया गया है। आरबीआई ने बढ़ती महंगाई को इसके पीछे की वजह बताया है।

उल्लेखनीय है कि रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई किसी व्यावसायिक बैंक को कर्ज देता है। रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई किसी व्यवसायिक बैंक से उधार लेता है।

उल्लेखनीय है कि पिछले तीन दिनों से चल रही मौद्रिक नीति समिति की बैठक में सभी सदस्यों ने दरों को बढ़ाने की पक्ष में अपना मत दिया। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई में 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने यह फैसला लिया है। जनवरी 2014 के बाद पहली बार रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बदलाव किया है।

हालांकि आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी दर के अनुमान को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है। आरबीआई के मुताबिक अप्रैल-सितम्बर में जीडीपी ग्रोथ 7.5-7.6 फीसदी रहने का अनुमान है। जुलाई-सितंबर के बीच महंगाई दर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है।

उल्लेखनीय है कि रेपो रेट के बढ़ने से अब हर तरह के कर्ज पर ईएमआई (मासिक किश्त) बढ़ जाएंगी। स्पष्ट है कि आरबीआई की इस कदम से अब सस्‍ते कर्ज का दौर खत्‍म हो रहा है और लोगों को महंगे कर्ज के लिए तैयार रहना होगा।

साथ ही आरबीआई ने इस बैठक के बाद महंगाई बढ़ने का अनुमान लगाया है। इसके मुताबिक जुलाई-सितंबर के बीच महंगाई दर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में महंगाई 4.8-4.9 फीसदी रह सकती है लेकिन दूसरी छमाही में इसमें मामूली गिरावट आने की संभावना है और यह 4.7 फीसदी पर रह सकती है।

हालांकि आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है। अक्टूबर-मार्च के बीच जीडीपी ग्रोथ 7.3-7.4 फीसदी रहने का अनुमान है लेकिन आरबीआई ने महंगाई दर का अनुमान बढ़ा दिया है। अप्रैल-सितम्बर के बीच महंगाई दर 4.8-4.9 फीसदी रहने का अनुमान है। अक्टूबर-मार्च के बीच महंगाई दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान है।

उल्लेखनीय है मोदी सरकार के दौरान यह दूसरा मौका है कि आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया है। इससे पहले जून की क्रेडिट पॉलिसी में भी 0.25 फीसदी रेपो रेट बढ़ाया गया था। हालांकि आरबीआई ने कहा कि देश की आर्थिक परिस्थिति को देखते हुए मौद्रिक नीति समिति की बैठक में इस कदम को उठाया गया है।

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