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आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती, होम लोन हो सकता है सस्ता

Update: 2019-06-06 06:40 GMT

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है। अब रेपो रेट 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी हो गई है। इससे आपके होम लोन, कार लोन का बोझ कम होगा। ऐसा माना जा रहा था कि मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दरों (रेपो रेट) में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ गया है।

विशेषज्ञों का भी मानना था कि केंद्रीय बैंक सस्ते कर्ज के जरिए बाजार में तरलता बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने की कोशिश करेगा। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है जिसके मद्देनजर रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बढ़ी है।

दरअसल, रेपो रेट ब्याज की वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक बैकों को फंड मुहैया कराता है। चूंकि रेपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग प्राप्त हो सकेगी, इसलिए बैंक भी अब कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन सहित अन्य लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा, जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है।

बता दें कि यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा है। आरबीआई ने इससे पहले अप्रैल में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। आरबीआई ने इससे पहले तीन बार से अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को लेकर स्थिति पहले जैसी बरकरार रखी थी।

बहरहाल, एमपीसी ने उम्मीद के मुताबिक नीतिगत रुख को अकोमोडेटिव कर दिया है। इस बार विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि एमपीसी मौद्रिक स्थिति के संबंध में अपने मौजूदा 'तटस्थ' रुख को बदलकर कर सकती है क्योंकि मुद्रास्फीति दर नीचे बनी हुई है। 

इसके अलावा ऑनलाइन ट्रांजेक्‍शन करने वालों को भी आरबीआई की बैठक से खुशखबरी प्रदान की है। रिजर्व बैंक ने RTGS और NEFT लेनदेन पर लगाए गए शुल्क को हटा दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि अब RTGS और NEFT के जरिए ट्रांजेक्‍शन करने वाले लोगों को किसी भी तरह का एक्‍स्‍ट्रा चार्ज नहीं देना होगा।

RBI की ओर से एटीएम ट्रांजेक्‍शन चार्ज को लेकर भी बड़े निर्णय लेने के संकेत दिए गए हैं। केंद्रीय बैंक ने बैठक में एक समिति का गठन करने का निर्णय लिया है। इस समिति के जरिए ATM शुल्क से जुड़े मामलों की समीक्षा की जाएगी। यह समिति अपनी पहली बैठक के दो महीने के भीतर अपनी सिफारिशें आरबीआई को बताएगी।

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