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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की समीक्षा बैठक में वित्त मंत्री ने दी बैंक प्रमुखों को अहम सलाह

Update: 2018-09-25 14:45 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस समीक्षा बैठक में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन की समीक्षा की गई। साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में किए गए सुधारों के प्रभाव की भी समीक्षा की गई। वित्त मंत्री की अध्यक्षता में इस समीक्षा बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के 21 सीईओ ने हिस्सा लिया। समीक्षा बैठक में क्रेडिट ग्रोथ, रिकवरी, वित्तीय सेवाएं और रिफॉर्म को लेकर चर्चा की गई।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वार्षिक समीक्षा बैठक में यहां मुख्‍य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) को संबोधित करते हुए वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि दिवाला और दिवालिहिता (आईबीसी), जीएसटी, विमुद्रीकरण और डिजिटल भुगतानों के माध्‍यम से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के औपचारिकरण ने वित्‍तीय क्षमता तथा जोखिम के मूल्‍यांकन में मदद दी है। इससे बड़े पैमाने पर वित्‍तीय समावेशन हुआ है और लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है। इससे भारत का तेज विकास होगा। वित्‍त मंत्री ने कहा कि अर्थव्‍यवस्‍था के औपचारिक रूप लेने से भारत को लगभग 8 प्रतिशत की विकास दर बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्‍होंने कहा कि अर्थव्‍यवस्‍था में वृद्धि से बैंकों की शक्ति बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इसके विपरीत बैंकों को अर्थव्‍यवस्‍था की जीवन रेखा के रूप में अपनी शक्ति बनानी होगी ताकि बैंक बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था की ऋण आवश्‍यकताओं को पूरा कर सकें।

वित्‍त मंत्री जेटली ने कहा कि आईबीसी व्‍यवस्‍था से मिलने वाले सार्थक परिणामों के बावजूद ऋण वसूली अधिकरण (डीआरटी) व्‍यवस्‍था के मूल्‍यांकन और समीक्षा की आवश्‍यकता है, विशेषकर मामलों के निपटान में लगने वाले लम्‍बे समय को लेकर। उन्‍होंने डीआरटी व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से ऋण वसूली में तेजी लाने की आवश्‍यता पर बल दिया ताकि शीघ्र वसूली कार्यवाहियों का मूल लक्ष्‍य हासिल किया जा सके।

वित्‍त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत के बारे में सार्थक धारणा बनी है क्‍योंकि बैंकों ने समाधान, वसूली, प्रावधान तथा ऋण विकास के मामले में सार्थक परिणाम प्रस्‍तुत किए हैं। वित्‍त मंत्री ने कहा कि जानबूझ कर ऋण भुगतान में चूक करने वालों को रोकने के लिए आईबीसी में संशोधन का परिणाम यह हुआ है कि देनदारी में जानबूझ कर चूक करने वाले अब भुगतान करने के लिए आगे आ रहे हैं। वित्‍त मंत्री ने कहा कि विकास तथा वित्‍तीय समावेशन के समर्थन में बैंकों के योगदान को देखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की प्रासंगिता जारी है। इस संबंध में उन्‍होंने कहा कि दूसरे देनदारों से गैर-खुदरा बैंकिंग के लिए समर्थन अभी भी अपर्याप्‍त है।

वित्‍त मंत्री जेटली ने कहा कि अर्थव्‍यवस्‍था की आवश्‍यकताओं को पूरी करने में बैंकिंग प्रणाली में विश्‍वास जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन के बाद बैंकरों के मन में अर्थव्‍यवस्‍था, राष्‍ट्र और बैंकों के हित में निवेश समर्थन को लेकर किसी तरह की आशंका की आवश्‍यकता नहीं रह गई है। उन्‍होंने कहा कि बैंक स्‍वच्‍छ तरीके से ऋण प्रदान करें और जालसाजी तथा ऋण देनदारी में चूक करने के मामलों में कारगर कार्रवाई सुनिश्चित करें ताकि बैंकों में फिर से व्‍यक्‍त किए गए विश्‍वास को औचित्‍यपूर्ण कहा जा सके।

वित्‍त मंत्री ने अगले दशक तक भारत की वृद्धि दर बनाए रखने के उपायों का उल्‍लेख किया। इस बैठक में जेटली के अलावा वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला, वित्त मंत्रालय के सचिव (वित्तीय सेवाएं), वित्त मंत्रालय के उच्चाधिकारी एवं सार्वजनिक बैंकों के अधिकारी मौजूद रहे।

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