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जिंदल स्टील के साथ मिलकर एक साल में पांच हजार बोगियां बनाएगा रेलवे

Update: 2018-11-23 14:08 GMT

लखनऊ। रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए जिंदल स्टेनलेस स्टील (जेएसएल) के साथ मिलकर एक वर्ष में 5000 एलएचबी (लिंके हॉफमैन बुश) कोच वाली बोगियां बनाएगा। इनको बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि ट्रेन हादसे के समय सैकड़ों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी। लखनऊ में स्थित अनुसंधान अभिकल्प तथा मानक संगठन (आरडीएसओ) में लगाई गई इनो रेल प्रदर्शनी में जापान, चीन, चेक रिपब्लिक, ऑस्ट्रिया सहित कुल 14 देशों की रेलवे से जुड़ी तकनीकों का प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में देश-विदेश से आईं इन टेक्नॉलजी का प्रदर्शन किया गया है। इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी में जर्मनी के सबसे ज्यादा स्टॉल हैं। कार्यक्रम में 120 उद्यमी हिस्सा ले रहे हैं।

आरडीएसओ के महानिदेशक वीरेंद्र कुमार ने यहां कहा कि अगले 12 सालों में ट्रैफिक बहुत बढ़ जाएगा। ऐसे में इससे निपटने के लिए भारतीय रेलवे ने अभी से काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि सेफ्टी, सिक्योरिटी, यात्रियों की सुविधाएं और पंक्चुएलिटी को लेकर रेलवे काफी सक्रिय है। आने वाले 12 वर्षों में 40 करोड़ आबादी शहरों में होगी। ऐसे में यातायात के सबसे बड़े साधन रेलवे पर लोड बढ़ेगा। इससे पहले रेलवे को भी तैयार होना पड़ेगा। महानिदेशक ने बताया कि इनो रेल प्रदर्शनी का यह तीसरा आयोजन है। इसमें निवेशकों को भी खासा फायदा मिलेगा। सुरक्षा, संरक्षा, आधारभूत ढांचे, ट्रेन संचालन आदि में निवेश होने से रेलवे की तरक्की होगी।

इनो रेल प्रदर्शनी में ईस्ट जापान रेलवे कंपनी के मॉडल सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र रहे है। प्रदर्शनी में लगी ई-7 ट्रेन की स्पीड 260 किमी प्रति घंटा के रफ्तार वाली रही है। इस ट्रेन की 12 बोगियों को मिलाकर 934 से ज्यादा लोग इसमें सफर कर सकते हैं। वहीं, ई-6 में सात बोगियां हैं। इसमें 337 लोग सफर कर सकते हैं। सबसे ज्यादा रफ्तार वाली ई-5 ट्रेन थी। यह ट्रेन प्रति घंटा 320 किलोमीटर का सफर तय करती है। इसकी दस बोगियों में 731 सीटें हैं। ट्रेनों की खासियत यह है कि ऐराडायनामिक नोज है और कम आवाज करती हैं। जापान के टोक्यो से लाग्मा के बीच साल 2014 में इन ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया था।

जिंदल स्टेनलेस के बिक्री प्रमुख विजय शर्मा ने बताया कि रेलवे में जिंदल स्टेनलेस की भागीदारी करीब 60 फीसदी की है। रेलवे के साथ मिलकर जिंदल स्टेनलेस अगले एक वर्ष में 5000 एलएचबी (लिंके हॉफमैन बुश) कोच वाली बोगियों को बनाएगा। इनको बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि ट्रेन हादसे के समय सैकड़ों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी।

उन्होंने बताया कि पारंपरिक कोच वाली बोगियां एक्सीडेंट के समय चिपक जाती हैं, जबकि स्टेनलेस स्टील बोगियां लड़ने पर टूट कर अलग हो जाती हैं। अधिकांश लोग स्टील और स्टेनलेस स्टील में भेद नहीं कर पाते। स्टेनलेस स्टील में क्रोमियम तत्व की मात्र 10.5 फीसदी होती है। इसे बढ़ाकर उसे जंगरोधक बनाया जाता है। इससे उसकी लाइफ बढ़ जाती है।

विजय शर्मा ने बताया कि रेलवे शताब्दी, राजधानी, तेजस, अंत्योदय, गतिमान और ट्रेन-18 सरीखीं ट्रेनों को स्टेनलेस स्टील से बनाया गया है। आने वाले पांच सालों में जिंदल स्टेनलेस का 10 हजार कोच प्रतिवर्ष बनाने का लक्ष्य है। रेलवे पुलों के निर्माण में भी अब स्टेनलेस स्टील का ही इस्तेमाल हो रहा है। आरडीएसओ से इसका परीक्षण भी हो चुका है।

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