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वर्ष 2018 में अप्रैल से नवम्बर माह के दौरान 12,000 करोड़ जीएसटी की चोरी पकड़ी गयी

Update: 2018-12-14 10:43 GMT

नई दिल्ली, 12 दिसम्बर। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रैल से नवम्बर माह के दौरान 12,000 करोड़ रुपये की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी पकड़ी है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के सदस्य जॉन जोसफ ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके यानी ई-वे बिल के बावजूद बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी हो रही है और अनुपालन बढ़ाने की जरूरत है।

भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचैम ) के कार्यक्रम में बुधवार को जॉन जोसफ ने कहा कि हमने जीएसटी चोरी रोकने के उपाय अप्रैल से शुरू किए और अब तक 12,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी पकड़ी है। यह केंद्रीय उत्पाद अथवा सेवा कर के समय के मुकाबले काफी बड़ी राशि है। बड़े पैमाने पर चोरी हो रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि देश के अन्दर कई स्मार्ट लोग हैं, जो जानते हैं कि पैसे को कैसे अपनी जेब में डाला जा सकता है।

जोसफ ने कहा कि आयकर अधिकारियों ने 12 हजार करोड़ में से करीब 8,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी वसूल कर ली है। उन्होंने कहा कि 1.2 करोड़ जीएसटी करदाताओं में से मात्र पांच से दस प्रतिशत इसकी चोरी कर रहे हैं और उद्योग का नाम खराब कर रहे हैं। हमें अनुपालन तंत्र को बेहतर करने की आवश्यकता है।

एक प्रश्न के उत्तर में जोसफ ने कहा कि चुनाव नतीजे से जीएसटी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं आपको स्पष्ट करना चाहता हूं कि जो भी राजनीतिज्ञ दल चाहें वे सत्ता में हैं या विपक्ष में, सभी ने एक साथ आकर इसे (जीएसटी) लागू किया है। हालांकि, कानून या फिर कुछ प्रक्रियागत बदलाव निश्चित रूप से हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के सदस्यों वाली जीएसटी परिषद ने नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से संबंधित सभी फैसले लिये हैं। जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था।

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