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अधिक प्रतिस्पर्धा कभी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था दवाब में डाल देती है: अरूण जेटली

Update: 2018-11-06 09:40 GMT

नई दिल्ली । वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि प्रतिस्पर्धा नियामक का काम प्रभावी प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है ताकि उपभोक्ता हित को संरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि अत्याधिक प्रतिस्पर्धा के चलते कभी-कभी कीमतें उस स्तर तक पहुंच जाती हैं जहां क्षेत्र की अर्थव्यवस्था दवाब महसूस करने लगती है क्योंकि क्षेत्र में अग्रणी को बाकी सभी को अनुसरण करना पड़ता है।

जेटली आज नई दिल्ली में सार्वजनिक खरीद और प्रतिस्पर्धा कानून पर राष्ट्रीय सम्मेलन में अपनी बात रख रहे थे। केन्द्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि निष्पक्षता, पारदर्शिता और सार्वजनिक हित के सिद्धांतों के आधार पर सरकारी खरीद की जानी चाहिए। इससे राज्य के राजस्व की बचत होती है और खरीद का उचित उपयोग होता है।

भविष्य के लिए रोडमैप के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक मॉडल देखने और उभरती स्थितियों से निपटने के तरीके अपनाने की जरूरत है। जेटली ने कहा कि सार्वजनिक खरीद देश के सकल घरेलू उत्पाद का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। सरकार को सर्वोत्तम मूल्य और गुणवत्ता प्राप्त होनी चाहिए। यह सभी वैधानिक संस्थानों पर भी लागू होता है।

वित्तमंत्री जेटली ने कहा कि ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें निविदा बोलियां वैश्विक हो सकती हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में घरेलू विकास वांछनीय है, खासतौर से सेवा क्षेत्र के मामले में जिसमें प्रभावी प्रतिस्पर्धा को देश के भीतर ही बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ भारत का बाजार विस्तार भी तेजी से होगा और इसलिए, भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की भूमिका नियामक के रूप में भी समय के साथ बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र, उद्योग और विनिर्माण क्षेत्र का आकार भी बढ़ेगा।

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