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जीएसटी के 18 महीने पूरे होने पर जेटली ने बताया कैसे बदला आर्थिक परिदृश्य ...

Update: 2018-12-24 13:07 GMT
File Photo

नई दिल्ली, 24 दिसम्बर, स्वदेश वेब। वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) को लागू होने के 18 महीने पूरे होने पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसके लागू होने के पहले और लागू होने के बाद की आर्थिक स्थितियों को विस्तार से बताया। सोशल मीडिया पर लिखे पोस्ट के जरिए केंद्रीय वित्तमंत्री ने जीएसटी को लेकर बार-बार विरोधियों के दुष्प्रचार को कठघरे में खड़ा किया। जेटली ने लिखा कि जीएसटी के पहले 31 फीसदी तक अप्रत्यक्ष कर देने वालों को जीएसटी का विरोध करने से पहले सोचना चाहिए। इतना ही नहीं जेटली ने सीधे तौर पर विरोधियों को कहा कि इस तरह के दुष्प्रचार की राजनीति करने वाले देश की अर्थव्यवस्था को केवल गर्त में ले जाने का रास्ता ही दिखा सकते हैं।

जेटली ने लिखा कि भारत में दुनिया की सबसे खराब अप्रत्यक्ष कर प्रणाली थी। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें करों के एक सेट को वसूलने की हकदार थीं। सत्रह कर लगाए गए थे। इसीलिए एक उद्यमी को सत्रह निरीक्षकों, सत्रह रिटर्न और सत्रह आकलन का सामना करना पड़ा। कराधान की दर बहुत उच्च थी। वैट और उत्पाद शुल्क की मानक दर क्रमशः 14.5 फीसदी और 12.5 फीसदी ​​थी। इसके लिए सीएसटी और कर पर कर के प्रभाव को जोड़ा जा सकता है। इस प्रकार मानक दर 31 फीसदी हो गई। ऐसे में असेसी के पास केवल दो विकल्प होते थे या तो कर की उच्च दर का भुगतान करें या उससे बच जाएं। इसीलिए कर चोरी काफी हद तक प्रचलित थी। भारत में कई बाजार शामिल हैं। प्रत्येक राज्य एक अलग बाजार था, क्योंकि टैक्स की दर अलग थी। अंतरराज्यीय बिक्री स्वाभाविक रूप से अक्षम हो गई, क्योंकि ट्रकों को राज्य की सीमाओं पर घंटों और दिनों तक इंतजार करना पड़ता था।

एक जुलाई, 2017 को जीएसटी के लागू होने की तारीख से जीएसटी ने स्थिति को मौलिक रूप से बदल दिया। सभी 17 कर एक में संयुक्त थे। पूरा भारत एक बाजार बन गया। अंतरराज्यीय अवरोध गायब हो गए। शहरों में प्रवेश कर के उन्मूलन के साथ खुला हो गया। राज्य एक मनोरंजन कर ले रहे थे 35% से 110% तक। यह मौलिक रूप से नीचे आया। 235 वस्तुओं पर 31% कर या शुल्क लिया जा रहा था। 10 ऐसी वस्तुओं को छोड़कर सभी को तुरंत 28% तक लाया गया। बिना किसी कर के सुनिश्चित करने के लिए कई स्लैब को क्षणिक रूप से तय किया गया था

जिंस मौलिक रूप से ऊपर जाता है। इसमें मुद्रास्फीति का प्रभाव था। आम आदमी के ज्यादातर सामान शून्य या 5% कर ब्रैकेट के अंदर रख दिए गए। रिटर्न ऑनलाइन हो गए, आकलन ऑनलाइन होगा। राज्यों को गारंटी दी गई थी कि पहले पांच वर्षों के लिए उन्हें 14% वार्षिक सुनिश्चित किया जाएगा। इस तरह वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने से देश का पूरा आर्थिक परिदृश्य बदल गया है।  

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