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ट्राई की दो टूक, डाटा पर कंपनियों का नहीं ग्राहकों का अधिकार

Update: 2018-07-17 04:50 GMT

नई दिल्ली। डाटा सुरक्षा पर दूरसंचार नियामक ट्राई ने केंद्र सरकार को भेजी गई सिफारिशों में मौजूदा कानून पर सवाल खड़े किए हैं। उसने कहा है कि डाटा पर सिर्फ उपभोक्ता का हक है। निजी कंपनियों द्वारा डाटा एकत्र किया जाना अधिकार से परे है। नियामक ने दूरसंचार विभाग को भेजी गई सिफारिशों में कानून बनाने की सिफारिश की है ताकि निजी कंपनियों के डाटा इकट्ठा करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगे। ट्राई ने डाटा की निजता, सुरक्षा और मालिकाना हक पर भेजी गई सिफारिशों में कहा है कि मौजूदा डाटा संरक्षण कानून समुचित नहीं है। ग्राहकों के डाटा का गलत इस्तेमाल होने का खतरा है। ऐसे में डाटा संरक्षण को लेकर सरकार नियम बनाए। ऐसा तब तक के लिए किया जाए, जब तक कानून नहीं बन जाता। ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि निर्धारित किए गए नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। मोबाइल, ऑपरेटिंग सिस्टम, ब्राउसर के लिए सरकार नियमों का निर्धारण करे ताकि डाटा का गलत इस्तेमाल किसी भी तरह से नहीं किया जा सके। नियामक ने कहा कि ग्राहकों के पास डाटा का पूर्ण अधिकार हो, वह किसी को अपना डाटा संजोने या रखने की मंजूरी दे सके या फिर पूरी तरह से निजी रखे। इसके साथ ही कंपनियां उपभोक्ताओं की निजता को बनाए रखें। इसकी व्यवस्था सरकार द्वारा नियम बनाकर की जाए। ट्राई ने कहा है कि ग्राहकों को यह अधिकार भी मिलना चाहिए कि डिजिटल दुनिया में वह जब तक रहना चाहते हैं रहें अन्यथा उनकी हर निशानी खत्म करने या मिटाने की व्यवस्था अधिकार के साथ मिले। हैंडसेट बेचने से पहले उपभोक्ता को सारी जानकारी मुहैया कराई जाए। कंपनियों को उपभोक्ता क्या मंजूरी दे रहा है या नहीं दे रहा है, इस संबंध में स्पष्ट तौर पर करार हो, जिसे कानून बनने तक नियम बनाकर स्पष्ट किया जाए। अगर कंपनी डाटा का इस्तेमाल करें तो वह उपभोक्ता को सूचित कर बताएं कि आखिर किस कारण उनका डाटा प्रयोग में लाया जा रहा है। 

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