नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत दो अन्य के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किए जाने को लेकर सरकार की निंदा की। उन्होंने ट्वीट कर इसपर आश्चर्य जाहिर किया। चिदंबरम ने लिखा कि बिना आरोप हिरासत में लिया जाना लोकतंत्र की हत्या है। जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं तो जनता के पास शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के सिवा कोई रास्ता बचता है क्या?
इसके बाद एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि 'प्रधानमंत्री कहते है कि प्रदर्शनों से अराजकता फैलेगी इसलिए संसद में पारित किए गए कानूनों का पालन किया जाना चाहिए। वे महात्मा गांधी, मार्टिन लूदर किंग और नेलसन मंडेला के उदाहरणों को भूल गए हैं।' उन्होंने लिखा कि 'शांतिपूर्ण विरोध के माध्यम से अन्यायपूर्ण कानूनों का विरोध किया जाना चाहिए।'
बता दें कि अबदुल्ला और मुफ्ती के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के पहले दिन में नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव तथा पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के वरिष्ठ नेता सरताज मदनी पर भी पीएसए लगाया गया। एक पुलिस अधिकारी के साथ एक मजिस्ट्रेट यहां हरि निवास पहुंचे, जहां 49 वर्षीय उमर पांच अगस्त से नजरबंद हैं। इसी दिन केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित कर दिया था। उन्होंने पीएसए के तहत जारी वारंट उमर को सौंपा। उमर के दादा तथा पूर्व मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के शासनकाल में 1978 में लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए यह कानून लाया गया था।