नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली ने सुझाव दिया है कि कृषि, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य की योजनाओं के कारगर संचालन के लिए वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) जैसा ढ़ांचा तैयार किया जाना चाहिए। जीएसटी की निर्णय प्रक्रिया को सफल और कारगर बताते हुए उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों में भी इस मॉडल को लागू किया जा सकता है। इस मॉडल से केंद्र सरकार और राज्य सरकारें विचार विमर्श के बाद आम सहमति से फैसले लेती हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 के एजेंडे के संबंध में अपने आलेख श्रृंखला की दसवीं और अंतिम कड़ी में जेटली ने कहा कि कृषि, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य के संबंध में जीएसटी परिषद का उदाहरण अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की भलाई के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। आवश्यकता इस बात की है कि केंद्र और राज्य अपने संसाधनों को मिलाकर उन्हें खर्च करने की साझा रणनीति अपनाएं । यही काम स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी हो सकता है।
वित्तमंत्री ने कहा कि निर्वाचित सरकारों के लिए यह उचित नही है कि एक दूसरे के साथ असहयोग करें। इस संबंध में उन्होंने किसान मान निधि और आयुष्मान भारत के प्रति कुछ राज्य सरकारों के असहयोग की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, दिल्ली और ओडिशा आदि राज्यों में आयुष्मान भारत योजना को लागू करने से इंकार कर दिया। इसी तरह राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल ने किसान मान निधि के बारे में असहयोग का रवैया अपनाया है। उन्होंने पूछा कि क्या यह उचित है कि राजनीतिक कारणों से जनता के कल्याण के लिए शुरू की गई योजनाओं में बाधा पैदा की जाए। 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय' का तकाजा है कि निर्वाचित सरकारें इस आदर्श वाक्य को साकार करने के लिए मिल कर काम करें।