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प्रधानमंत्री ने इस कविता से पांचवे संबोधन का समापन किया

Update: 2018-08-15 04:42 GMT

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले से अपने पांचवे संबोधन का समापन एक कविता सुनाकर किया, जिसमें भारत के मन का विश्वास जगाने का संकल्प दिखा। प्रधानमंत्री ने यह कविता पढ़ी-

अपने मन में एक लक्ष्य लिए

मंजिल अपनी प्रत्यक्ष लिए

हम तोड़ रहे हैं जंजीरे

हम बदल रहे हैं तस्वीरें

यह नवयुग है नवभारत है

हम खुद लिखेंगे अपनी तकदीर

हम निकल पड़े हैं प्रण करके

अपना तन मन अर्पण करके

जिद है एक सूर्य उगाना है

अम्बर से ऊंचा जाना है

एक भारत नया बनाना है

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