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प्रधानमंत्री मोदी बोले - उपज की बर्बादी को कम करना सरकार की प्राथमिकता

Update: 2020-01-28 09:31 GMT

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि किसान और उपभोक्ता के बीच सीधा सरोकार स्थापित करना और उपज की बर्बादी को कम करना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार परंपरागत कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है।

प्रधानमंत्री ने गुजरात के गांधीनगर में आयोजित विश्व आलू सम्मेलन को वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि किसानों को उसकी उपज का उचित दाम मिले और उपभोक्ता पर भी ज्यादा जोर न पड़े इसके लिए सरकार बिचौलियों की भूमिका को कम करने की दिशा में काम कर रही है।

विश्व आलू सम्मेलन के उद्धाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि यहां दुनिया के अनेक देशों से वैज्ञानिक आए हैं, हज़ारों किसान साथी और दूसरे हितधारक भी जुटे हैं। अगले तीन दिनों में आप सभी पूरे विश्व के आहार और पोषण की डिमांड से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करने वाले हैं। इस कॉन्कलेव की खास बात ये भी है कि यहां आलू सम्मेलन, एग्रो एक्सपो और पोटैटो फिल्ड डे तीनों एक साथ हो रहे हैं। इस क्रम में करीब 6 हज़ार किसान फील्ड डे के मौके पर खेतों में जाने वाले हैं। ये प्रशंसनीय प्रयास है।

उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार की ओर किए गए कार्यो और उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर तेज़ी से कदम उठाए जा रहे हैं। किसानों के प्रयास और सरकार की पॉलिसी के तालमेल का ही परिणाम है कि अनेक अनाजों और दूसरे खाने के सामान के उत्पादन में भारत दुनिया के शीर्ष तीन देशों में है।

उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने भी अनेक कदम उठाए हैं। चाहे इस सेक्टर को शत प्रतिशत प्रत्यक्ष पूंजी निवेश (एफडीआई) के लिए खोलने का फैसला हो या फिर पीएम किसान संपदा योजना के माध्यम से वैल्यू एडिशन और वैल्यू चेन डेवलपमेंट में मदद, हर स्तर पर कोशिश की जा ही है।

मोदी ने कहा कि इस महीने के शुरुआत में, एक साथ 6 करोड़ किसानों के बैंक खातों में, 12 हजार करोड़ रुपए की राशि हस्तांतरित करके एक नया रिकॉर्ड भी बनाया गया है ।सरकार का जोर कृषि टेक्नॉलॉजी आधारित स्टार्ट अप्स को प्रमोट करने पर भी है ताकि स्मार्ट और प्रिसिजन एग्रीकल्चर के लिए ज़रूरी किसानों के डेटाबेस और एग्री स्टैक का उपयोग किया जा सके।

इसके साथ-साथ कृषि क्षेत्र में हर नई तकनीक का कैसे बेहतर उपयोग हो सकता है, इसको लेकर भी आपके सुझाव और समाधान अहम रहेंगे।

प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में भाग ले रहे प्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों और किसानों से कहा कि 21वीं सदी में भी कोई भूखा और कुपोषित ना रहे, इसकी भी एक बड़ी जिम्मेदारी आप सभी के कंधों पर है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले 3 दिनों में सम्मेलन में महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीर मंथन होगा।

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