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हमारी संस्कृति सच्चे मानव बनने पर जोर देती है : सत्यपाल सिंह

Update: 2019-07-20 05:56 GMT

नई दिल्ली। sa ने शुक्रवार को मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 का विरोध करने को लेकर विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में कभी मानवाधिकार को लेकर बात नहीं की गई है, बल्कि अच्छे सदाचारी मानवीय चरित्र पर जोर दिया गया है।

लोकसभा में विधेयक पर बहस में हिस्सा लेते हुए मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ने कहा, "मानव प्रकृति की विशेष रचना है। हमारा मानना है कि हम भारतीय संतों की संतान हैं। हम उनकी भावना को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हैं जिनका कहना है कि वे बंदरों की संतान हैं।" उन्होंने कहा, "हमारी संस्कृति में मानवीय चरित्र के निर्माण पर जोर दिया जाता है। हमारे वेदों में हमें सदाचारी मानव बनने और अच्छे मानव पैदा करने की शिक्षा दी गई है। हमारी संस्कृति सच्चे मानव बनने पर जोर देती है।"

संस्कृति में एक उद्धरण पेश करते हुए उन्होंने कहा, "मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च जाने से धर्म की कसौटी पूरी नहीं होती है। धर्म के अनुसार, हमें उसी तरह का व्यवहार करना चाहिए जिस तरह के व्यवहार की अपेक्षा हम दूसरों से अपने लिए करते हैं। अगर मैं चाहता हूं कि कोई मुझे तंग न करे तो मुझे भी किसी दूसरे को तंग नहीं करना चाहिए। यह धर्म है।"

कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों ने मानवाधिकार संशोधन विधेयक 2019 को अधूरा करार देते हुए कहा है कि इसमें बहुत खामियां हैं और यह आयोग के अधिकारों को पूरी तरह से संरक्षित नहीं करता है इसलिए विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए। कांग्रेस के शशि थरूर ने गुरुवार को लोकसभा में विधेयक पर चचार् की शुरुआत करते हुए कहा कि मानवाधिकार आयोग हमारे मूल अधिकारों की रक्षा के लिए है। मानव अधिकारों का सरंक्षण सरकार की जिम्मेदारी है और इसे पेरिस सिद्धांत के अनुसार बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आयोग की स्वायत्तता को गंभरीता से लिया जाना चाहिए और इसमें नियुक्ति को पारदशीर् तथा निर्धारित समय पर किए जाने की व्यवस्था करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन विधेयक में बहुत खामियां हैं और इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए।

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