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अब आपके पसंदीदा चैनल महंगे हो जाएंगे

Update: 2018-09-26 04:30 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। अगर सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो टेलीविजन पर दिखने वाले आपके कुछ पसंदीदा चैनल महंगे हो जाएंगे। अगर इस क्षेत्र के लिए प्रस्तावित नए आदेश जारी कर दिए जाते हैं तो स्टार, जी और सोनी पिक्चर्स आदि केबल या डीटीएच के बेसिक पैक में शामिल नहीं होंगे बल्कि इसके लिए अतिरिक्त राशि देनी होगी। स्पष्ट है कि यह टेलीविजन दर्शकों के लिए एक झटका जैसा होगा जो अपने डीटीएच या केबल बिल में कमी चाहते हैं। इस बाबत ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अॉथरिटी अॉफ इंडिया) एक आदेश जारी करने वाली है। अब जी इंटरटेनमेंट इंटरप्राइज, सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया, वायाकॉम18, व टीवी18 (सभी फ्री टू एयर) ने अपने को पे चैनल के रूप में प्रस्तुत कर दिया है। इस क्षेत्र में कार्य करने वाले एक कार्यकारी ने कहा कि फ्री टू एयर चैनलों को पे चैनल में परिवर्तित करने के दो कारण हैं। अगर चैनल फ्री है तो इसके ग्राहकों की संख्या में बेतरतीब बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते कैबल या डीटीएच के रखरखाव के खर्च का बोझ बढ़ने लगा है। दूसरी वजह है कि अगर चैनल फ्री होगा तो इसके पैक के दर को भी नहीं बढ़ाया जा सकता है। हालांकि दूसरी वजह क्षेत्र के जानकार की नजर में वजनहीन लगता है क्योंकि अॉपरेटर पैक के दर को कभी भी बढ़ा सकता है।

हालांकि विधिवेताओं के मुताबिक यह बहुत दिन चल नहीं सकता क्योंकि बाजार में होड़ चलता है और फिर अॉपरेटरों या नेटवर्क मालिकों को दर को घटाना ही पड़ेगा। ठीक उसी तरह जिस तरह मोबाइल कॉल व इंटरनेट के बाजार में जियो सभी टेलीकॉम अॉपरेटर पर भारी पड़ गया और सभी चैनलों को दर को घटाना पड़ा। किसी कंपनी की एक नहीं चली। लॉ फर्म भरुचा एंड पार्टनर्स के अभिषेक मलहोत्रा के मुताबिक यह स्थिति सदा के लिए बरकरार नहीं रह सकती। बाजार की हालत के हिसाब से ये दर घटते बढ़ते रहेंगे।

मलहोत्रा ने आगे कहा कि अगर कोई चैनल बेस पैक में शामिल नहीं होता तो ब्रॉडकास्टर को दर निर्धारण के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता क्योंकि यह तो ब्रॉडकास्टर व डिलीवरी प्लेटफार्म अॉपरेटर की आपसी समझदारी व सामंजस्य पर निर्भर करता है।

उल्लेखनीय है कि ट्राई दर को लेकर जारी उक्त आदेश को पिछले जुलाई के दौरान लागू कर दिया। इस आदेश को मद्रास उच्च न्यायालय ने स्वीकार भी कर लिया। लेकिन स्टार इंडिया ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हालांकि अधिकांश ब्रॉडकास्टर ने उसी आदेश को मान लिया था। अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी ट्राई के आदेश को बहाल कर दिया तो चैनलों देखने के लिए दर्शकों और जेब ढीले करने होंगे।

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